कान में सुं- सुं की आवाज जिसे टिनिटस (Tinnitus) के रूप में जाना जाता है, यह वात दोष के असंतुलन का संकेत हो सकता है। आयुर्वेद में वात दोष का निदान और संतुलन प्रमुख होता है। पहले आपके खानपान और दिनचर्या पर ध्यान देना आवश्यक है। वात को संतुलित करने के लिए हल्का और गर्म भोजन करें जैसे सूप, खिचड़ी, और दलिया।
तिल के तेल से नियमित कान की मालिश और सिर की मालिश करें, विशेषकर सोने से पहले। यह वात संतुलन करने में मदद करेगा। ब्राह्मी और अश्वगंधा जैसी हर्ब्स का सेवन भी लाभकारी हो सकता है। ब्राह्मी की चूर्ण को दूध के साथ लेना आपके मानसिक शांति और सुन्न ध्वनि को कम करने में सहायक हो सकता है।
आयुर्वेद में नस्य करना भी एक सिद्ध उपाय है, जिसमें आप प्रतिदिन सुबह तिल के तेल की 2-3 बूँदें नाक में डाल सकते हैं। यह सिर के वात को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
ध्यान रहे कि यह उपचार लम्बे समय तक किया जाना चाहिए और एक बार में ज्यादा सुधार की उम्मीद न करें। अगर कोई विशेष चक्कर, सुनने में कमी, या अन्य समस्या हो, तो तुरंत चिकित्सा परामर्श अवश्य लें।
आहार में त्रिफला का रात में सेवन भी किया जा सकता है, ये वात और पित्त दोनों को संतुलित करता है। ध्यान और योग का नियमित रूप से अभ्यास करना भी तनाव को कम करेगा जो कि टिनिटस को प्रबल कर सकता है।
मध्यम हेड मसाज और योग के साथ-साथ ध्यान, मन को शांत करके इन ध्वनियों के प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकता है। इन सलाह के दौरान ध्यान रखें की कोई भी लक्षण बिगड़ता है अथवा शब्द अधिक ध्यान देने योग्य होते हैं तो सही चिकित्सा सलाह प्राप्त करें।



