प्रोलैक्टिन स्तर बढ़ने के विभिन्न कारण हो सकते हैं, विशेषकर तनाव, पोषण की कमी या हार्मोनल असंतुलन। इन समस्याओं को संबोधित करने के लिए, कुछ आयुर्वेदिक उपाय आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं। सबसे पहले, अपने आहार में परिवर्तन करना आवश्यक है।
आहार में संतुलन लाएँ: ताजे फल और सब्जियों का अधिक सेवन करें। अनाज जैसे कि जौ, चना, और मूँग के दाल का उपयोग करना अच्छा रहेगा। तैलीय और मसालेदार भोजन से बचें क्योंकि ये पाचन को प्रभावित कर सकते हैं और वजन बढ़ा सकते हैं।
त्रिकटु चूर्ण (सोंठ, मरीच, पिप्पली) आपके पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है। इसे भोजन के साथ दिन में एक बार आधा चम्मच लें, यह आपके अग्नि (digestive fire) को संतुलन में रखेगा और पाचन समस्याऍं कम करेगा।
तनाव को कम करना भी महत्वपूर्ण है। नियमित योग और प्राणायाम करने से मानसिक शांति मिलेगी। सरल आसनों जैसे ताड़ासन और शवासन का अभ्यास करें। इन्हें दिन में 10-15 मिनट किया जा सकता है।
अश्वगंधा या ब्राह्मी के प्रयोग से तनाव को कम करने में सहायता मिल सकती है। लेकिन इनका उपयोग शुरू करने से पहले उचित मात्रा और समयावधि के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
गुणकारी जड़ी-बूटियों का उपयोग करें: शतावरी और कचनार गुग्गुल, जिनका उपयोग शक्यानुसार किसी चिकित्सक के निर्देशन में किया जा सकता है, ये हार्मोनल विनियमन में मदद कर सकते हैं।
प्राकृतिक जीवनशैली का पालन करें: पर्याप्त नींद लें (7-8 घंटे), और नियमित रूप से समय पर सोएँ और जागें। यह आपके शरीर में हार्मोन संतुलन बहाल करने में मदद कर सकता है।
इन सुझावों का पालन करने से धीरे-धीरे स्वास्थ्य में सुधार देखा जा सकता है, हालांकि व्यक्तिगत अनुकूलन के लिए एक चिकित्सक से परामर्श करना भी महत्वपूर्ण है। अगर प्रोलैक्टिन का स्तर बहुत अधिक है औरसे प्रोलैक्टिनोमा का संदेह है, तो किसी विशेषज्ञ से जाँच करवाएँ।
प्रोलैक्टिन को संतुलित रखने के लिए, आपके जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव मददगार हो सकते हैं। सबसे पहले, तनाव कम करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रोलैक्टिन स्तर पर प्रभाव डाल सकता है। रोजाना योग या ध्यान का अभ्यास करें; ये मस्तिष्क को शांत कर सकते हैं और तनाव कम कर सकते हैं।
आहार में बदलाव भी सहायक हो सकते हैं। जितना संभव हो हरी पत्तेदार सब्जियाँ, शुद्ध अनाज, और फल शामिल करें। अदरक और हल्दी का सेवन भी शुभ होता है, विशेषकर हल्दी दूध में रात को सोने से पहले लेना फायदेमंद हो सकता है। कैफीन और अल्कोहल से बचें क्योंकि ये प्रोलैक्टिन को बढ़ा सकते हैं।
वजन और पाचन को संतुलित करने के लिए, नियमित रूप से हल्का व्यायाम करना उपयोगी है। चलना, तैराकी, या कोई नृत्य वर्ग चुन सकते हैं। साथ ही, त्रिफला चूर्ण का सेवन रात को गर्म पानी के साथ करें, जो पाचन में मदद करेगा।
सिरदर्द के लिए भ्रामरी प्राणायाम करें, जो तनाव और सिरदर्द को कम करने में कारगर है। कोई भी सुझाव अपनाने से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लें, विशेष रूप से अगर कोई गंभीर लक्षण उत्पन्न होते है। अगर आपके लक्षण गंभीर हो जाते हैं, तो तुरंत चिकित्सकीय ध्यान खोजें। यह सलाह एक सामान्य गाइडलाइन के रूप में है और व्यक्तिगत चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है।



