व्यक्तिगत परामर्श की आवश्यकता है अतः, कृपया आगे की सलाह के लिए किसी नज़दीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिलें…
Near by koi dermatologist nahi hai. Main local doctor ko dikhane ja chuka hoon, Ayurvedic vaid ne allopathy doctor ko dikhane ki salah di thi. Main MyUpchar se online consultation bhi le chuka hoon aur allopathy, homeopathy, Ayurveda sab try kar chuka hoon, par koi fayda nahi hua… ab mujhe kya karna chahiye?"
Aap ek baar kisi dusre ayurvedic physician ko dikhayein (MS SHALYA)… Kyunki iss app par abhi photo bhejne ki suvidha nhi hai to dekh paana sambhav nhi ho payega ki kya sthiti hai… TAKE CARE😊
<link removed>
आपके द्वारा बताई गई नाखूनों की समस्याएं, जैसे की नाखूनों की जड़ पर लालिमा, कालेपन और त्वचा का पतला होना, वात और पित्त दोष के असंतुलन का संकेत हो सकता है। आयुर्वेद में, नाखून अस्थि धातु का उपधातु है, और ऐसे लक्षण जब दिखाई देते हैं तो यह अस्थि और मज्जा धातु के कमजोर होने का सूचक हो सकता है।
स्थिति का सही तरीके से निदान करने के लिए, पहले यह आवश्यक है कि हम व्यवहारिक और कुछ सरल आयुर्वेदिक उपायों का पालन करें। यहाँ कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं:
1. आहार में बदलाव: अपने आहार में अधिक से अधिक हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मौसमी फल, और नट्स जैसे बादाम और अखरोट शामिल करें जो अस्थि और नाखूनों को पोषित करते हैं।
2. तेल मालिश: नारियल का तेल या तिल का तेल लेकर प्रभावित क्षेत्रों पर धीरे-धीरे मालिश करें। यह खून के प्रवाह को बढ़ाता है और त्वचा को पोषण देता है।
3. सहजन का उपयोग: सहजन की पत्तियाँ और इसकी सब्जियाँ खाएं। यह शरीर के शोधन में मदद करती हैं और अस्थि को मजबूत करती हैं।
4. वात व पित्त संतुलन: त्रिफला चूर्ण और अश्वगंधा का नियमित सेवन करना भी लाभदायक हो सकता है, क्योंकि यह वात और पित्त को संतुलित करने में मदद करता है।
5. ध्यान मुद्रा: प्रतिदिन कुछ समय ध्यान करने से मानसिक तनाव कम होता है और स्वास्थ को सुधारने में मदद मिलती है।
इन उपायों के अलावा, यह महत्वपूर्ण है कि यदि स्थिति बनी रहती है, तो किसी अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें। अगर कोई गम्भीर समस्या हो या संक्रमण जैसा मामला हो तो त्वरित चिकित्सकीय सहायता लेना उचित होगा।
यह स्थिति आपके नाखूनों की स्वास्थ्य समस्या से संबंधित हो सकती है, जो त्रिदोष असंतुलन के कारण उत्पन्न हुई है, विशेष रूप से वात और पित्त दोष की भूमिका हो सकती है। जब वात बढ़ता है, तो त्वचा के नीचे रक्त प्रवाह प्रभावित होता है और पित्त के कारण सूजन और रंग परिवर्तन हो सकता है।
इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
1. तिल का तेल मालिश: तिल का तेल हल्का गर्म करके प्रभावित क्षेत्र पर मालिश करें। यह त्वचा की नमी को बनाए रखेगा और वात दोष को नियंत्रित करने में सहायक होगा। इसे दिन में दो बार करें।
2. हल्दी का लेप: हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। हल्दी और चंदन का पेस्ट बनाकर नाखूनों पर लगाएं। यह त्वचा को शांत करेगा और सूजन कम करेगा। सप्ताह में 3 से 4 बार करें।
3. त्रिफला चूर्ण: रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। यह आपके पाचन तंत्र को सुधार कर शरीर के विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करेगा।
4. नीम का उपयोग: नीम के पत्तों का पेस्ट या उसके तेल का उपयोग करें। यह किसी भी बैक्टीरियल इंफेक्शन को नियंत्रित करने में सहायक होगा।
5. चीला सज्जीकाषाय: यह एक विशिष्ट औषधीय घोल है जो नाख़ून विकारों में विशेष रुप से कार्यक्षम है। इसे सही मात्रा में लेकर नाखून पर लगा सकते हैं।
अगर कोई सुझाव तुरंत काम नहीं करता है या हालत और बिगड़ती है, तो स्थानीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें। नियमित फॉलो-अप भी महत्वपूर्ण है, ताकि स्थिति का आकलन सही तरह से किया जा सके। नाखूनों की सुरक्षा के लिए आपको सिंथेटिक नसों और कठोर साबुन के उपयोग से भी बचना चाहिए।


