अस्थमा के लिए, सबसे पहले वात और कफ दोषों में संतुलन आवश्यक है, जो अक्सर अस्थमा में असंतुलित हो जाते हैं। जैसा कि आपकी समस्या है, यह वात-कफ असंतुलन के कारण उत्पन्न हो सकती है। आयुर्वेद में कुछ अनुशंसित उपायों का पालन करने से राहत मिल सकती है।
1. आहार: - आपको तैलीय, भारी, ठंडी और वात-कफ बढ़ाने वाली चीज़ों से बचना चाहिए। जैसे कि दही, चीज, ठन्डी खाने की चीजें, और तला-भुना खाना। - गुनगुना खाना और पानी पिएं। अदरक, हल्दी, काली मिर्च, और लौंग जैसे मसालों का उपयोग करें। - ताजा फल, हरी सब्ज़ियां, और फाइबर युक्त आहार को डाइट में शामिल करें।
2. दिनचर्या: - योग और प्राणायाम विशेष रूप से अनुलोम-विलोम और कपालभाति अनुकूल हो सकते हैं। यह फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं और सांस लेने में राहत देते हैं। - जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदत डालें। नियमित व्यायाम करें लेकिन ज्यादा थकावट से बचें।
3. घरेलू उपचार: - तुलसी के पत्ते, शहद और अदरक को मिलाकर सेवन करें। यह आपके फेफड़ों में जमाव को कम करने में मदद कर सकती है। - विक्स या किसी भी बाम को गर्म पानी में डालकर भाप लें।
4. पंचकर्म चिकित्सा: - यदि संभव हो तो सप्ताह में एक बार स्वेदन और वमन थेरेपी का सहारा लें।
अगर आपकी समस्या गंभीर है या बार-बार हो रही है तो किसी विशेषज्ञ से तुरंत सलाह लें। उम्मीद करता हूँ ये जानकारी आपके लिए फायदेमंद होगी।
अस्थमा एक जटिल बीमारी है जो श्वास नली की सूजन और अवरोध से संबंधित होती है। इसे आयुर्वेद में विशेष रूप से वात दोष की अस्थिरता से जोड़ा जाता है। सबसे पहले, शेखा कुमारी जी के लिए वात दोष को संतुलित करने पर ध्यान देना आवश्यक है।
शुरू में सही आहार और जीवनशैली के परिवर्तन करें। भोजन में गर्म, पाचक और हल्का आहार जैसे गुड़, अदरक, और तुलसी शामिल करें। ठंडे, खट्टे और भारी भोजन से परहेज करें। यह वात दोष को नियंत्रण में लाने में मदद करेगा। भोजन ताजे और संतुलित होना चाहिए। दिन में तीन बार खाने का समय निश्चित रखें और धीरे-धीरे चबाकर खाएँ।
घर में सफाई का विशेष खयाल रखें, धूल और प्रदूषण से बचने की कोशिश करें। हर्बल स्टीम इनहेलेशन दें। इसे बनाने के लिए ताजे तुलसी और अदरक का इस्तेमाल करें। यह फेफड़ों के अवरोध को कम करने में सहायक है।
व्यायाम में योग को शामिल करें, विशेष रूप से प्राणायाम और अनुलोम विलोम जैसे श्वास अभ्यास। यह न केवल श्वास प्रणाली को मजबूती देगा बल्कि मेंटल शांति भी प्रदान करेगा। हर दिन 15-20 मिनट योग का अभ्यास करें।
आयुर्वेदिक औषधियों में प्रयुक्त पारंपरिक सिद्ध सूत्र जैसे अग्निमुख चूर्ण और दशमूलारिष्ट वाउंय चूरनफ सलाहकार की निगरानी में लें। यदि समस्या गंभीर हो तो तुरंत चिकित्सा देखभाल आवश्यक हो सकती है इसे नज़रअंदाज़ न करें।
अंत में, मानसिक तनाव और चिंता को कम करने के लिए ध्यान और ध्यान-चिन्तन का अभ्यास भी करें। यह संपूर्ण समाधान अस्थमा को प्रबंधन में मदद करेगा, परन्तु समस्या फिर से बड़ती हो तो चिकित्सक की सलाह जरूर लें।



