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ITP या Idiopathic Thrombocytopenic Purpura की स्थिति में एलोपैथिक इलाज के साथ-साथ आयुर्वेद में भी कुछ उपाय हैं जो सहायक हो सकते हैं, लेकिन सबसे पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में इसका पालन किया जाना चाहिए। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, यह समस्या रक्त और पित्त के विकार से जुड़ी हो सकती है।
शरीर पर मोटापा और बालों की समस्या के लिए, अग्नि को संतुलित करना और मेटाबॉलिज्म में सुधार लाना आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित सुझाव उपयोगी हो सकते हैं:
1. त्रिफला का सेवन: रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म पानी के साथ लें। ये शरीर से टॉक्सिन्स को दूर करने में मदद करेगा और पाचन सुधारने में सहायक होगा।
2. लौकी का जूस: सुबह ख़ाली पेट लौकी का जूस पीना लाभकारी होगा। यह वजन घटाने और पित्त को शांत करने में मदद करता है।
3. बालों के लिए भृंगराज का तेल: सप्ताह में 2-3 बार बालों में भृंगराज या नारियल तेल से मसाज करें। ये बालों को पोषण देगा और बाल बढ़ने की समस्या को नियंत्रित करेगा।
4. योग और प्राणायाम: भ्रामरी और अनुलोम-विलोम प्राणायाम दिन में दो बार करने से मस्तिष्क और शरीर में संतुलन रहेगा। ये रक्तचाप और मानसिक तनाव को भी नियंत्रित करेगा।
5. मसालेदार और तैलीय खाद्य पदार्थों से परहेज: गर्म, मसालेदार और तैलीय खाने से पित्त में वृद्धि होती है, इनसे बचना चाहिए।
6. तुलसी और अश्वगंधा: अश्वगंधा से इम्यून सिस्टम को सहारा मिलता है, जबकि तुलसी प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट का काम करती है। इन्हें दिन में किसी समय गुनगुने पानी या चाय के रूप में लें।
एंडॉक्राइन विशेषज्ञ के साथ मिल कर यह भी सुनिश्चित करें कि कोई एलोपैथिक दवा आयुर्वेदिक उपायों से विरोधाभासी नहीं हो, ताकि सुरक्षा बनी रहे। नियमित स्वास्थ्य जाँच भी बहुत ज़रूरी है।
आईटीपी के लिए एलोपैथिक उपचार जारी रहना ज़रूरी है क्योंकि यह स्थिति जीवन के लिए गंभीर हो सकती है। आयुर्वेद इसके साथ साहयोगी उपचार प्रदान कर सकता है जिसे एलोपैथिक चिकित्सा के साथ समन्वय में इस्तेमाल किया जा सकता है। ध्यान रहे कि कोई भी आयुर्वेदिक या पूरक उपचार शुरू करने से पहले आपके डॉक्टर से परामर्श करें, ताकि दोनों उपचारों के बीच कोई टकराव न हो।
आईटीपी और मोटापे के बीच संबंध को समझने के लिए, पहले पित्त और कफ दोष के संतुलन पर ध्यान देना होगा। मोटापे के लिए, अग्नि (जठराग्नि) को मजबूत करना और कफ दोष को कम करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन रात में गुनगुने पानी के साथ किया जा सकता है। यह पाचन में सुधार करेगा और वजन प्रबंधन में मदद करेगा।
बालों की अधिकता के लिए, नियमित रूप से नारियल तेल या आंवला तेल से मालिश करें। आंवला, ब्राह्मी और नीम चूर्ण को मिलाकर पेस्ट बनाएं और सप्ताह में दो बार बालों पर लगाएं। इससे बालों की जड़ें मजबूत होंगी और बालों का असमान विकास नियंत्रित होगा।
आहार में संतुलित मात्रा में ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां और प्रोटीन युक्त आहार को शामिल करें। बहुत ज्यादा तली-भुनी और भारी चीज़ों से बचें। नियमित व्यायाम और प्राणायाम को दिनचर्या में शामिल करें।
किसी भी चिकित्सा सलाह को लागू करने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की राय जरूर लें, ताकि सभी उपाय सुरक्षित और प्रभावी हों।



