शीघ्रपतन का उपचार आयुर्वेद में कई दृष्टिकोणों से किया जाता है। सबसे पहले, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी व्यक्तिगत प्रकृति (अपनी दोष संरचना) को समझें। शीघ्रपतन अक्सर वात दोष के असंतुलन के कारण होता है। वात को स्थिर करने के लिए कुछ विशिष्ट उपाय किए जा सकते हैं।
आहार में बदलाव से शुरुआत करें। अत्यधिक तैलीय, मसालेदार और बहुत अधिक प्रोसेस्ड फूड्स से बचें। नियमित रूप से हरी सब्जियाँ, फल, नट्स जैसे बादाम, अखरोट आदि का सेवन करें। दूध और घी का सेवन भी फायदेमंद होता है। ये पदार्थ शीतल और पौष्टिक हैं, जो वात को शांत करते हैं।
हर्बल दवाओं की बात करें तो, अश्वगंधा और शिलाजीत का उपयोग विशेष रूप से इस स्थिति में असरकारी होता है। आप अश्वगंधा पाउडर को एक गिलास गर्म दूध के साथ सोने से पहले ले सकते हैं। इसके अलावा, शिलाजीत का एक चुटकी मात्रा में सेवन दिन में एक बार किया जा सकता है, अधिमानतः खाली पेट।
तैल मालिश भी फायदेमंद होती है। सप्ताह में 2-3 बार तिल के तेल से पूरे शरीर की मालिश करें। इससे शरीर की नसों का तनाव कम होगा और वात संतुलन में मदद मिलेगी।
योग और प्राणायाम का अभ्यास नियमित रूप से करें। विशेषकर, भ्रामरी प्राणायाम और नाड़ी शोधन प्राणायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। ये मानसिक स्थिरता और तनाव को कम करने में मदद करेंगे।
कृपया ध्यान दें कि यदि आपकी स्थिति गंभीर है या घरेलू उपायों से कोई सुधार नहीं हो रहा है, तो किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें। सकारात्मक परिणामों के लिए धैर्य और निरंतरता आवश्यक है।
शीघ्रपतन के उपचार के लिए सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि यह स्थिति मुख्यतः मानसिक और शारीरिक तत्वों के असंतुलन से जुड़ी होती है। सिद्ध-आयुर्वेद में इसे समझने के लिए त्रिदोष सिद्धांत का प्रयोग होता है। विशेषकर, दोषों में वाता और पित्त का असंतुलन महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
पहला कदम: आहार में सुधार करें। भारी, तले हुए और मसालेदार भोजन से बचें। प्रतिदिन ठंडा दूध और केला का सेवन लाभदायक हो सकता है क्योंकि ये वाता-पित्त को संतुलित करने में मदद करते हैं। साथ ही, रात में ताजे फल खाएं और हाइड्रेटेड रहें।
आपका अगला कदम: निश्चित रूप से विश्राम और मानसिक शांति को प्राथमिकता दें। ध्यान और प्राणायाम जैसे सरल योगिक अभ्यास का अभ्यास करें। ये आपके मानसिक तनाव को कम करेंगे और शारीरिक शांति प्रदान करेंगे।
औषधीय उपचार की दिशा में, आप अश्वगंधा और सफेद मूसली को शामिल कर सकते हैं। ये जड़ी-बूटियां शारीरिक शक्ति और मानसिक स्थिरता देने वाली होती हैं। अश्वगंधा चूर्ण को गर्म दूध के साथ सुबह और रात में लें। सफेद मूसली का सेवन भी इसी प्रकार लाभदायक है।
अंत में, आपकी स्थिति के लिए व्यक्तिगत रूप से अनुकूलित समाधान के लिए एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से मुलाकात कर सकते हैं। उनके द्वारा उचित निदान और उपचार योजना के बाद ही सही दिशा में चलना सर्वोत्तम रहेगा। अगर समस्याएं गंभीर हैं, तो चिकित्सा परामर्श और अन्य विशेषज्ञता की आवश्यकता भी हो सकती है।


