yes do karna puran
कान में संक्रमण के कारण सुनने में परेशानी होती है और यह स्नायुओं तक भी पहुंच सकता है। आयुर्वेद में, ऐसे मामलों में शरीर के दोष और धातुओं के संतुलन को ध्यान में रखते हुए उपचार प्रस्तावित किया जाता है। अगर कहा जाय तो शास्त्रीय ग्रंथों जैसे ‘चरक संहिता’ और ‘सुश्रुत संहिता’ में जिक्र किया गया है कि ऐसे संक्रमण वात और कफ दोष के असंतुलन के कारण होते हैं।
यदि संक्रमण गंभीर नहीं है, तो आयुर्वेदिक उपचार और जीवनशैली में बदलाव मदद कर सकते हैं। कान के स्वास्थ्य के लिए, आप निम्नलिखित कर सकते हैं -
1. नाक में अणु तेल डालना: अणु तेल को प्रतिदिन नाक में डालें, यह वात और कफ दोष को संतुलित करता है, और कान और गले की समस्याओं में भी लाभकारी होता है।
2. त्रिफला काढ़ा: रात में त्रिफला काढ़े का सेवन करें। यह शरीर की सफाई में मदद करता है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
3. तैल धारा (ओर्ल ऑयल ड्रॉप्स): चिकित्सक की सलाह से कान में महाि गंधरूका तेल का प्रयोग करें। यह कान के संक्रमण को कम करने में सहायक होता है।
4. गर्म सिंकाई: सेंधा नमक का थैली में गर्म करके कान के आसपास सिंकाई करें। यह दर्द को कम करता है और सूजन में राहत देता है।
5. आहार में ध्यान रखें: मसालेदार, तैलीय और ठंडे खाद्य पदार्थों से बचें। गर्म, हल्का और सुपाच्य आहार का सेवन करें।
हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि संक्रमण बहुत अधिक बढ़ गया है या डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह दे रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सा सलाह का पालन करना अत्त्यन्त आवश्यक है। इस स्थिति में ऑपरेशन से बचने की कोशिश के बजाए, संभावित जटिलताओं से बचने के लिए चिकित्सीय मार्गदर्शन में रहें। आपकी स्वास्थ्य स्थिति विशेष है, इसलिए अपने चिकित्सक से परामर्श लेना अनिवार्य है।



