कानों में कम सुनाई देना और दर्द होना से स्पष्ट है कि कुछ समस्या उत्पन्न हो सकती है। सबसे पहले, यह आवश्यक है कि आप दर्द और सुनाई देने की दिक्कत को गंभीरता से लें और यदि स्थिति बिगड़ती है, तो चिकित्सकीय सहायता लें। लेकिन, अगर लक्षण स्थिर हैं, तो यहां कुछ सिद्ध-अयुर्वेदिक उपाय हैं जो मदद कर सकते हैं।
पहले, कानों को गर्मी से बचाएं और किसी भी तेज़ ध्वनि या हवा से कानों को ढक कर रखें। सरसों का तेल ठंडा यिंन चरित्र वाला होता है, जो वात दोष को शांत करने में सहायता करता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा तेल कानों में डालना स्राव को अवरुद्ध करता है। इससे बचने के लिए, कान की स्वच्छता बनाए रखें लेकिन बहुत अधिक पानी डालने से बचें। आप कान में किसी चिकित्सकीय उपकरण या किसी भी नुकीली वस्तु का उपयोग न करें।
दूसरी बात, आप हरिद्र चूर्ण और सौंठ के तेल की कुछ बूँदें गुनगुने पानी में मिलाएं और कपड़े पर लगा कर हल्के से कान के चारों ओर सहलाएं। इससे वात दोष संतुलन में आएगा और थोडी राहत का अहसास हो सकता है।
तीसरी बात, आप त्रिफला चूर्ण का सेवन रात में एक ग्लास गुनगुने पानी के साथ कर सकते हैं। यह शरीर के विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है और आपकी पाचन क्रिया को भी सुधारेगा, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति बेहतर होगी।
कृपया ध्यान रखें कि अगर दर्द और कम सुनाई देना 24-48 घंटों में ठीक नहीं होता, या बिक्सा स्थिर नहीं होती, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से जांच कराएं, खासकर अगर कोई खून या मवाद जैसा स्त्राव हो रहा हो। ये संकेत अधिक गंभीर समस्या का हो सकते हैं जिसे प्राथमिकता से उपचार की आवश्यकता हो सकती है।



