शीघ्रपतन का उपचार करते समय, सूक्ष्म दृष्टि से व्यक्तिगत प्रकृति और असंतुलन वाले दोषों को देखना आवश्यक है। यह समस्या सामान्यतः वातारोग के असंतुलन से जुड़ी हो सकती है। आपका पाचन अग्नि कमजोर हो सकता है, जिससे शरीर का पोषण अवरुद्ध हो जाता है। सबसे पहले, आहार और जीवनशैली में सुधार की जरूरत होती है।
आहार में शक्तिवर्धक और पचने में हल्के खाद्य पदार्थ शामिल करें। जैसे कि, गाजर, मूली, शलजम, तरोई और हरी पत्तेदार सब्जियाँ। दही और घी का संतुलित मात्रा में सेवन करें। मसालों में, अश्वगंधा, शतावरी और सफेद मूसली का सेवन करने से लाभ होता है। इनका चूर्ण दूध के साथ लें, दिन में दो बार।
अपनी दिनचर्या में रोज़ाना कम से कम 30 मिनट योग और प्राणायाम शामिल करें, विशेष रूप से अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम लाभकारी होते हैं। यह शरीर में स्नायु तंत्र को शांत करने और मानसिक संतुलन लाने में मदद करता है।
इसके अतिरिक्त, शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने के लिए ध्यान और ध्यान-केंद्रित विश्राम अभ्यासों को अपनाएँ। आयुर्वेदिक तेलों जैसे महाबलषादि तेल से मालिश भी लाभकारी साबित हो सकती है।
यदि ये उपाय पर्याप्त सुधार नहीं लाते हैं, तो एक योग्य आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श लें, जो आपके लिए एक विशिष्ट उपचार योजना प्रदान कर सके। ध्यान रखें, किसी भी वनौषधि या औषध को लेने से पहले एक योग्य चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें।



