Start with - १. अविपत्तिकर चूर्ण: ३ ग्राम + गर्म पानी, नाश्ते और रात के खाने से १५ मिनट पहले। २. कामधुदा रस (मोती युक्त): १२५ मिलीग्राम दिन में दो बार, भोजन के बाद पानी के साथ। ३. सूतशेखर रस: १ गोली (१२५ मिलीग्राम) दिन में दो बार, भोजन के बाद पानी के साथ। ४. पंचामृत पार्पटी: १२५ मिलीग्राम सुबह एक बार शहद के साथ। ५. हिंग्वाष्टक चूर्ण: १ ग्राम, दोपहर और रात के खाने की पहली कौर के साथ। बाहरी देखभाल हींग + अरंडी तेल की पट्टी: ½ छोटा चम्मच हींग पाउडर + १ बड़ा चम्मच गर्म अरंडी का तेल मिलाएं, पेट पर लगाएं, कपड़े से ढकें और गर्म पानी की थैली १५ मिनट तक रात में रखें। आहार लेना है: ४ छोटे भोजन: – नाश्ता: मूंग दाल की खिचड़ी + १ छोटा चम्मच घी। – दोपहर का खाना: चावल + दाल + लौकी की सब्जी + घी। – नाश्ता: १ केला या अनार। – रात का खाना: हल्की खिचड़ी (शाम ७ बजे से पहले)। दोपहर के बाद छाछ में भुना जीरा + सेंधा नमक। हर ३० मिनट में गर्म पानी की चुस्की (कुल २.५ लीटर)। पूरी तरह से बचें: भारी, तैलीय, मसालेदार, खट्टा खाना। चाय, कॉफी, ठंडे पेय। कच्चा प्याज, लहसुन, टमाटर। रात ७:३० के बाद खाना। जीवनशैली भोजन के बाद १० मिनट टहलें। सिर ऊँचा रखकर सोएं (२ तकिए)। कमर के आसपास टाइट कपड़े न पहनें। भोजन के बाद ५ मिनट वज्रासन। रायनॉल्ड्स के लिए महारास्नादी कषायम: १५ मिली + ४५ मिली गर्म पानी, सुबह खाली पेट। हाथ-पैरों पर बला तेल मालिश करें और ठंड में दस्ताने/मोजे पहनें।
Regards Dr Gursimran Jeet Singh MD Panchakarma
1.अविपत्तिकर चूर्ण 1/2 से 1 चम्मच, सुबह-शाम गुनगुना पानी या नारियल पानी के साथ 2.शंख वटी 2 गोली, भोजन के बाद गुनगुना पानी के साथ 3.कामदुघा रस (मुक्ता युक्त)125–250 mg, सुबह-शाम गुलाब जल या ठंडा पानी के साथ 4.यष्टिमधु चूर्ण 1/2 चम्मच, सुबह-शाम दूध या गुनगुना पानी के साथ 5.प्रवाल पंचामृत रस 125 mg, सुबह-शाम शहद या घी के साथ
जीवनशैली और आहार सुझाव - भोजन: हल्का, सुपाच्य, गर्म भोजन लें — मूंग की खिचड़ी, सब्जी का सूप, उबला हुआ फल। - परहेज़: तले हुए, मसालेदार, खट्टे, और ठंडे पदार्थों से बचें। चाय-कॉफी कम करें।
- दिनचर्या: - भोजन के बाद 5–10 मिनट वज्रासन में बैठें। - सुबह हल्का योग और प्राणायाम करें (विशेषकर अनुलोम-विलोम और शीतली)। - पेट पर तिल या नारियल तेल से हल्की मालिश करें। - रायनॉल्ड्स फिनोमेनन के लिए: - ठंडी चीज़ों से बचें। - हाथ-पैरों को गर्म रखें (गर्म पानी में डुबोना, रुई से ढकना)। - अश्वगंधा या ब्राह्मी जैसी वातशामक औषधियाँ उपयोगी हो सकती हैं
नमस्ते! आपके द्वारा बताए गए लक्षणों — Raynaud’s Phenomenon, Hiatus Hernia, Acidity, Gas और Abdominal Bloating — यह दर्शाते हैं कि शरीर में Vata–Pitta दोषों का असंतुलन हुआ है।
✅आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
👉 Hiatus Hernia और पेट फूलना (Amlapitta, Adhmana, Udavarta) अधिक तनाव, अनियमित भोजन, देर रात तक जागना, अधिक मसालेदार या तला-भुना भोजन, और दवाओं का दीर्घकालीन सेवन — ये सब Agni (Digestive Fire) को मंद कर देते हैं। इससे Aam (toxins) बनता है जो Udara Vata को बढ़ाकर पेट में गैस, डकार और एसिडिटी पैदा करता है।
👉 Raynaud’s Phenomenon यह Vata–Kapha विकार से संबंधित है, जिसमें रक्त संचार (Rakta Srotas) में संकुचन (Vata Avarodha) होता है। ठंड या तनाव से रक्त प्रवाह रुकता है जिससे हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं और रंग बदलता है।
इसलिए उपचार का उद्देश्य है — ✅ Agni Deepan (पाचन शक्ति बढ़ाना) ✅ Aam Pachana (टॉक्सिन्स का नाश) ✅ Pitta और Vata का संतुलन ✅ Rakta Sanchaar (Blood Circulation) को सुधारना
✅उपचार योजना (Ayurvedic Treatment Plan)
✅ आंतरिक औषधियाँ (Internal Medicines)
1 Arogyavardhini Vati 1–0–1 भोजन के बाद (यकृत और पाचन को सुधारती है, अम्लपित्त को कम करती है)
2 Avipattikar Churna 1 टीस्पून भोजन से पहले गुनगुने पानी के साथ (एसिडिटी, जलन, रिफ्लक्स में उपयोगी)
3 Sutshekhar Ras (with gold) 1 टैबलेट सुबह–शाम भोजन के बाद (अम्लपित्त व हाइटस हर्निया में श्रेष्ठ)
4 Hingwashtak Churna आधा टीस्पून भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ (गैस, डकार और पेट फूलने में लाभकारी)
5Ashwagandha Capsule 500 mg रात को दूध के साथ रक्त प्रवाह सुधारता है, Raynaud’s में सहायक
✅ बाह्य उपाय (External & Supportive Therapies)
1. Abhyanga (तेल मालिश) – प्रतिदिन Ksheerabala Taila या Mahanarayana Taila से हल्की मालिश करें। इससे रक्त प्रवाह सुधरेगा और Raynaud’s के लक्षण कम होंगे। 2. Swedana (हल्का स्टीम) – हाथ-पैर पर हल्की भाप दें, ठंडे वातावरण से बचें। 3. Warm Compress – भोजन के बाद पेट पर हल्की गर्म सेंक करें — यह गैस और ब्लोटिंग कम करता है।
✅आहार एवं दिनचर्या (Diet & Lifestyle)
✅ अनुसरण करने योग्य (To Follow)
हल्का, गर्म, और ताजा बना भोजन लें। भोजन में शामिल करें: लौकी, तुरई, मूंग दाल, अदरक, जीरा, धनिया, हल्दी। गुनगुना पानी या जीरा-धनिया उबला पानी पिएँ। ठंडी चीजें, बर्फ, ठंडे पेय पदार्थ, और देर रात खाना बिल्कुल न लें। भोजन के बाद 10–15 मिनट शांत चलना (वज्रासन या धीमी वॉक) करें।
❌ परहेज (To Avoid
अधिक मिर्च, तला हुआ, भारी भोजन कॉफी, चाय, कोल्ड ड्रिंक तनाव, देर रात तक जागना, लंबे समय तक खाली पेट रहना ठंडे वातावरण और पानी से संपर्क
✅ योग एवं प्राणायाम (Yoga & Breathing)
Pranayama: Anulom Vilom, Bhramari, Ujjayi — दिन में 10 मिनट Yoga: Vajrasana (भोजन के बाद), Pawanmuktasana, Setubandhasana, Bhujangasana सर्द मौसम में गर्म कपड़े पहनें और मानसिक तनाव को कम करें — यह Raynaud’s में विशेष सहायक रहेगा।
नियमित आयुर्वेदिक औषधियाँ, उचित आहार और योग अभ्यास से यह स्थिति काफी हद तक नियंत्रित हो सकती है। आप धीरे-धीरे अपनी Nexpro दवा पर निर्भरता भी कम कर पाएँगी (वैद्यकीय देखरेख में)।
आपके स्वास्थ्य और संतुलन की शुभकामनाएँ।
सादर, डॉ. स्नेहल विधाते
Avipattikara churna 1/2-0-1/2 tsp before meals Hingwastaka churna 1/2-0-1/2 tsp after meals Triphala guggulu 1-0-1 Lasunadi guggulu 1-0-1 Amlanta tab 1-0-1 Sukumaram gritha 1 tsp with warm water at morning Avoid tea coffee sour foods curd lying down soon after eating Take small light meals
HELLO,
RAYNAUD’S PHEOMENON This is primarily a vata disorder involving constriction of blood vessels in response to cold or stresss Sometimes kapha also contributes (causing sluggish circulation and coldness)
AYURVEDIC VIEW -Blockage of srotas (micro channels) due to Aam (toxins) and vata aggravation -leads to poor blood flow, cold fingers/toes, numbness, and color changes
HIATUS HERNIA AND ACID REFLUX This is a pitta-vata disorder -excess pitta irritates the stomach -disturbed vata causes upward movement of acid and air-> reflux and bloating -weak digestive fire causes aam formation (toxic undigested waste) that irritates mucosa
ULCER HISOTRY AND BLOATING -indicates chronic pitta + vata disturbance -irregular digestion, stress, and incompatible diet are root causes
TREATMENT GOALS -balance pitta and vata -healstomach lining and prevent acid rebound -improve blood circulation and reduce reynard’s attacks -enhance digestive strength without irritation ulcer area -detoxidy aam and clear blocked channels -strengthen nervous and vascular system to prevent reccurece
INTERNAL MEDICATIONS
FOR ACIDITY AND ULCER HEALING
1) AVIPATTIKAR CHURNA= 1 tsp with warm water after meals =neutralizes excess pitta, reduces burning and acid reflux
2) KAMDUDHA RAS(moti yukta)= 1 tab twice daily after meals =heals mucosal lining, balances acid without suppressing digestion
3) SUTSEKHAR RASA= 1 tab twice daily after meals =excellent for reflux, ulcer pain, ad nausea
4) GANDHAK RASAYANA= 1 tab twice daily after meals =acts as a detoxifier and enhances mucosal repair
FOR GAS, BLOATING AND INDIGESTION
1) HINGWASTAKA CHURNA= 1/2 tsp with ghee and food =improves vata digestion, reduces bloating and flatulence
2) TRIKATU CHURNA= 1/4 tsp with honey before meals =stimulates digestion (avoid during active ulcer phase)
FOR RAYNAUD’S AND CIRCULATION
1) ASHWAGANDHA CHURNA= 1 tsp with warm milk at bedtime =strengthens nerves, reduces coldness, improves blood flow
2) ARJUNA KSHER PAKA= 50 ml twice daily after meals =strengthens heart ad circulation channels
3) PUNARNAVA MANDUR= 1 tab twice daily after meals =improves blood oxygenation and reduce sswelling
FOR STRESS AND NERVES AND ENERGY
1) BRAHMI VATI (GOLD)= 1 tab I morning = calms stress which worsens reflux and raynaud’s
2) CHYAWANPRASHA= 1 tsp daily morning =improves immunity, tissue strength
DURATION= 6-8 weeks
DIET -warm, soft, easy to digest food- khichdi, mung dal soup, rice gruel -ghee, cumin, coriander,fenel ,turmeric, ajwain -ripe fruits- banana, papaya, pomegranate -herbal teas= jeera ajwain fennel , licorice tea, , tulsi tea -lukrwarm water never cold
AVOID -coffee, tea, alcohol, smoking -sour, fried, spicy foods, tomatoes, citrus fruit -cold drinks, ice cream, raw salads at night -overeating or skipping meals
LIFESTYLE AND ROUITNE -Eat in time, never delay or skip meals -do not lie down for 2 hours after meals -sleep by 10 pm, wake early -keep body warm, especially hands and feet -avoid tight clothing around abdomen for hernia -practice relaxation and deep breathing daily -gentle walk after meals improves digestion
YOGA -vajrasana after meals aids digestion -pawanmuktasana, Sputa baddha konasana, setu band hasana for hernia support -tadaana, for circulation -AVOID forward bends or inverted posture soon after meals
PRANAYAM -Anulom vilom= Balances Vata and pitta, calms mind -bhramari= relieves stress, regulates nervous system -sheetali/sheetkari= only if no reflux burning -practice daily for 10-15 min in calm enviroment
HOME REMEDIES -Aloe vera pulp 2 tsp + ghee 1/2 tsp in morning empty stomach- soothes stomach -Coconut water twice a week- cools pitta -Jeera-ajwain-feel water- sip throughout the day -Licorice powder 1/2 tsp in warm milk at bedtime- heals ulcer -warm sesame oil hand foot massage at night- improves raynaulds
DO FOLLOW
HOPE THIS MIGHT BE HELPFUL
THANK YOU
DR. MAITRI ACHARYA
नमस्ते,
रेनॉड की घटना यह मुख्यतः एक वात विकार है जिसमें ठंड या तनाव के कारण रक्त वाहिकाओं में संकुचन होता है। कभी-कभी कफ भी इसमें योगदान देता है (जिससे रक्त संचार धीमा और ठंडा हो जाता है)
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण -आम (विषाक्त पदार्थों) और वात वृद्धि के कारण स्त्रोतों (सूक्ष्म नलिकाओं) में रुकावट -जिससे रक्त प्रवाह कमज़ोर हो जाता है, उँगलियाँ/पैर ठंडे हो जाते हैं, सुन्नपन आ जाता है और रंग बदल जाता है।
हाइटस हर्निया और एसिड रिफ्लक्स यह एक पित्त-वात विकार है -अत्यधिक पित्त पेट में जलन पैदा करता है -अशांत वात अम्ल और वायु को ऊपर की ओर ले जाता है-> रिफ्लक्स और पेट फूलना -कमजोर पाचन अग्नि आम (विषाक्त अपचित अपशिष्ट) बनाती है जो म्यूकोसा को परेशान करती है।
अल्सर का इतिहास और पेट फूलना -पुरानी पित्त + वात गड़बड़ी का संकेत देता है -अनियमित पाचन, तनाव और असंगत आहार मूल कारण हैं
उपचार के लक्ष्य - पित्त और वात को संतुलित करें - पेट की परत को ठीक करें और एसिड रिबाउंड को रोकें - रक्त परिसंचरण में सुधार करें और रेनार्ड के हमलों को कम करें - अल्सर वाले क्षेत्र में जलन के बिना पाचन शक्ति बढ़ाएँ - पेट का विषहरण करें और अवरुद्ध नलिकाओं को साफ़ करें - पुनरावृत्ति को रोकने के लिए तंत्रिका और संवहनी तंत्र को मज़बूत करें
आंतरिक औषधियाँ
एसिडिटी और अल्सर के उपचार के लिए
1) अविपत्तिकर चूर्ण = भोजन के बाद 1 चम्मच गर्म पानी के साथ =अतिरिक्त पित्त को निष्क्रिय करता है, जलन और एसिड रिफ्लक्स को कम करता है
2) कामदुधा रस (मोती युक्त) = भोजन के बाद दिन में दो बार 1 गोली =श्लेष्म परत को ठीक करता है, पाचन को बाधित किए बिना एसिड को संतुलित करता है
3) सुतशेखर रस = भोजन के बाद दिन में दो बार 1 गोली =रिफ्लक्स, अल्सर के दर्द और मतली के लिए उत्कृष्ट
4) गंधक रसायन = भोजन के बाद दिन में दो बार 1 गोली भोजन के बाद प्रतिदिन =विषनाशक के रूप में कार्य करता है और म्यूकोसल मरम्मत को बढ़ाता है
गैस, सूजन और अपच के लिए
1) हिंग्वाष्टक चूर्ण = आधा छोटा चम्मच घी और भोजन के साथ =वात पाचन में सुधार, सूजन और पेट फूलना कम करता है
2) त्रिकटु चूर्ण = भोजन से पहले शहद के साथ 1/4 छोटा चम्मच =पाचन को उत्तेजित करता है (सक्रिय अल्सर चरण के दौरान सेवन से बचें)
रेनॉड रोग और रक्त संचार के लिए
1) अश्वगंधा चूर्ण = सोते समय 1 छोटा चम्मच गर्म दूध के साथ =तंत्रिकाओं को मजबूत करता है, ठंडक कम करता है, रक्त प्रवाह में सुधार करता है
2) अर्जुन क्षार पाका = भोजन के बाद दिन में दो बार 50 मिलीलीटर =हृदय और रक्त संचार नलिकाओं को मजबूत करता है
3) पुनर्नवा मंडूर = भोजन के बाद दिन में दो बार 1 गोली =रक्त ऑक्सीकरण में सुधार और सूजन कम करता है
तनाव और तंत्रिकाएँ और ऊर्जा
1) ब्राह्मी वटी (स्वर्ण) = सुबह 1 गोली = तनाव को शांत करता है जो भाटा और रेनॉड रोग को बढ़ाता है
2) च्यवनप्राश = रोज़ाना सुबह 1 चम्मच = रोग प्रतिरोधक क्षमता और ऊतकों की मजबूती में सुधार करता है
अवधि = 6-8 सप्ताह
आहार - गर्म, मुलायम, आसानी से पचने वाला भोजन - खिचड़ी, मूंग दाल का सूप, चावल का दलिया - घी, जीरा, धनिया, सौंफ, हल्दी, अजवाइन - पके फल - केला, पपीता, अनार - हर्बल चाय = जीरा, अजवाइन, सौंफ, मुलेठी की चाय, तुलसी की चाय - गुनगुना पानी, कभी ठंडा नहीं
इनसे बचें - कॉफ़ी, चाय, शराब, धूम्रपान - खट्टे, तले हुए, मसालेदार भोजन, टमाटर, खट्टे फल - ठंडे पेय, आइसक्रीम, रात में कच्चा सलाद - ज़्यादा खाना या खाना छोड़ना भोजन
जीवनशैली और दिनचर्या -समय पर भोजन करें, भोजन में कभी देरी न करें या उसे छोड़ें नहीं -भोजन के बाद 2 घंटे तक न लेटें -रात 10 बजे तक सो जाएँ, जल्दी उठें -शरीर को गर्म रखें, खासकर हाथों और पैरों को -हर्निया के लिए पेट के आसपास तंग कपड़े पहनने से बचें -प्रतिदिन विश्राम और गहरी साँस लेने का अभ्यास करें -भोजन के बाद हल्की सैर पाचन में सुधार करती है
योग -भोजन के बाद वज्रासन पाचन में सहायक होता है -पवनमुक्तासन, स्फुट बद्ध कोणासन, हर्निया के लिए सेतुबंध आसन -संचार के लिए ताड़ासन -भोजन के तुरंत बाद आगे की ओर झुकने या उल्टे आसन से बचें
प्राणायाम -अनुलोम विलोम = वात और पित्त को संतुलित करता है, मन को शांत करता है -भ्रामरी = तनाव से राहत देता है, तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करता है -शीतकारी = केवल तभी जब भाटा जलन न हो -शांत वातावरण में प्रतिदिन 10-15 मिनट अभ्यास करें
घरेलू उपचार -एलोवेरा गूदा 2 चम्मच + घी 1/2 चम्मच सुबह खाली पेट - पेट को आराम देता है - नारियल पानी हफ़्ते में दो बार - पित्त को शांत करता है - जीरा-अजवाइन - पानी जैसा महसूस होता है - दिन भर घूँट-घूँट कर पिएँ - मुलेठी पाउडर 1/2 चम्मच रात को सोते समय गर्म दूध में - अल्सर ठीक करता है - रात में गर्म तिल के तेल से हाथ-पैरों की मालिश - रेनल अल्सर में सुधार करता है
अनुसरण करें
उम्मीद है यह मददगार होगा
धन्यवाद
डॉ. मैत्री आचार्य
Start with Tablet Liv-52 1-0-1 after food with water Kamdudharas moti yukta 1-0-1 after food with water Gasex tablet 1-0-1 after food with water. Do pranayam lom -vilom bhastrika bhamri 5-10mins daily twice.
रायनॉल्ड्स फिनोमिया, हर्निया, और पेट की समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से कुछ उपाय कर सकते हैं। समझना जरूरी है कि यह रिकमेंडेशन आपकी दवाइयों के साथ संतुलन बनाए रखेंगे, ताकि कोई समस्याएँ ना हों।
पहले, पाचन शक्ति यानी ‘अग्नि’ को सुधारना ज़रूरी है। भोजन में सादगी रखने का प्रयास करें, जैसे कि अधिक सूप, खिचड़ी, और सब्जियों का सेवन करें। अदरक और त्रिफला आपके पाचन के लिए लाभकारी हो सकते हैं। अदरक की चाय दिन में दो बार पिएँ। त्रिफला का सेवन रात को सोने से पहले हल्के गर्म पानी के साथ किया जा सकता है, लेकिन कोई मौजूदा दवाई के साथ टकराहट नहीं होनी चाहिए।
भोजन के बीच बड़ा अंतराल ना रखें। कम मात्रा में और बार-बार खाना बेहतर रहेगा। तीखा, तला-भुना और बहुत ठंडा खाना जितना हो सके ट्वालें। खाना खाने के बाद थोडा आराम करें, लेकिन तुरंत लेटने से बचें।
रायनॉल्ड्स फिनोमिया के लिए, गर्म कपड़े पहनें और प्रभावित हिस्सों को गुनगुने तेल (जैसे तिल का तेल) से हल्के हाथ से मालिश कर सकते हैं। ठंडा वातावरण अवॉइड करने की कोशिश करें, खासकर उँगलियों पर।
इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए, हल्दी वाला दूध ताजे इलायची और थोड़े से सौंफ डालकर पिएँ। योग और प्राणायाम की विशेष ध्यान दें, खासकर अनुलोम-विलोम और भ्रामरी जैसे उपाय आपके लिए सही हो सकते हैं।
अगर कोई तीव्र समस्या हो रही है या दवाइयों से कोई असहनीतता हो रही है, तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लें। आपकी स्थिति में सामंजस्यपूर्ण दवाई और देखभाल काफी महत्वपूर्ण है।



