देखो, मैं समझ रहा हूँ कि ये डर बहुत असहज और परेशान करने वाला हो सकता है। ये अच्छी बात है कि सारे टेस्ट नार्मल हैं, तो शायद असली समस्या मानसिक स्तर पर है। आयुर्वेद में, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पे भी जोर दिया जाता है।
पहले, ये जानना जरूरी है की आपका मन और शरीर एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। इस तरह का डर या फोबिया वात दोष के असंतुलन से हो सकता है। शायद आपकी पाचन आग्नि भी कमजोर हो, जिससे आपको ये चिंता हो रही हो।
तो, कुछ चीजें कर सकते हो जो शायद मदद कर सके। सुबह उठकर एक गिलास गुनगुना पानी पीओ, इसमें थोड़ा नींबू और शहद मिला सकते हो। ये आपकी अंदर की ऊर्जा को संतुलित करेगा और दिन की शुरुआत एक सकारात्मक तरीके से होगी।
ध्यान और प्राणायाम भी करते रहो। अनुलोम-विलोम या ब्रह्मरी प्राणायाम आपके मन को शांत करने में मदद कर सकता है। श्रवण रचनात्मक गतिविधियों में भी समय बिताओ, जैसे कि म्यूजिक सुनना या पेंटिंग करना।
आहार में कोशिश करें कि गरिष्ट और तीखा भोजन कम करें। हल्का, घर का बना खाना, जिसमें अधिक से अधिक हरी सब्जियाँ हों, बहुत फायदेमंद होगा। एक और चीज, अश्वगंधा का सेवन कर सकते हो—ये एक जड़ी-बूटी है जो तनाव और चिंता कम करने के लिए जानी जाती है। पर इसका सेवन शुरू करने से पहले एक अच्छे वैद्य से परामर्श जरूर कर लो।
और याद रहे, इन सबके अलावा अगर मन में कोई चिंता हो, तो उसे समय-समय पर किसी विश्वासपात्र के साथ साझा कर सकते हो। अक्सर खुलकर बात करने से भी मन हल्का हो जाता है।
अगर डर हद से आगे बढ़े, तो कोई मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से भी मिलना एक अच्छा कदम हो सकता है। आपकी सुरक्षा और संतुलन सब से महत्वपूर्ण है। ध्यान और संयम बनाए रखो, सब ठीक हो जाएगा।



