मुंह के छाले अक्सर पित्त दोष की असंतुलन के कारण होते हैं, जो न केवल आपके खान-पान से, बल्कि आपकी जीवनशैली और मानसिक तनाव से भी उत्पन्न हो सकते हैं। जब आप कहते हैं कि खान पान में कोई बदलाव नहीं किया है, फिर भी समस्या हो रही है, तो हो सकता है अन्य कारण जैसे तनाव, अधिक अम्लीय भोजन का सेवन, या कम आँतों की गर्मी इसमें भूमिका निभा रहे हों।
उपचार के लिए कुछ उपाय हैं जो आप आजमा सकते हैं:
1. मुलैठी या यष्टिमधु चूर्ण: मुलैठी का उपयोग छालों को ठीक करने में बहुत प्रभावी होता है। हल्का पानी डालकर मुलैठी चूर्ण का पेस्ट बनाएं और छालों पर लगाएं। इससे दर्द और सूजन में राहत मिल सकती है।
2. जूशांदा या हरिद्रा (हल्दी) दूध: रात को सोने से पहले गरम दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर पिएं। हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो छाले ठीक करने में मदद कर सकते हैं।
3. अनार का जूस: अनार का रस पीने से छालों के दर्द में राहत मिलेगी। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो पित्त दोष को संतुलित करने में सहायक होते हैं।
4. ध्यान और प्राणायाम: तनाव भी पित्त को बढ़ा सकता है, इसलिए नियमित ध्यान और प्राणायाम करने की कोशिश करें।
5. त्रिफला चूर्ण: रात्रि में त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से पाचन क्रिया में सुधार होगा और आंतों की गर्मी कम होगी।
यदि प्राकृतिक उपायों के बावजूद छाले तीन-चार दिनों में ठीक नहीं होते हैं, या समस्या बार-बार होती है तो आपको चिकित्सीय सलाह जरूर लेनी चाहिए। हो सकता है कोई अंदरूनी समस्या हो, जिसे समझने के लिए गहन परीक्षण आवश्यक हो।
मुँह के छाले अक्सर पित्त दोष की अधिकता से हो सकते हैं, लेकिन हर मामले में इसका कारण थोड़ा भिन्न हो सकता है। आपके द्वारा बताए गए लक्षण यह सुझाव देते हैं कि आपके शरीर में पित्त असंतुलन हो सकता है, जिससे ये समस्याएँ बार-बार उत्पन्न हो रही हैं।
अच्छा होगा कि आप अपने आहार में कुछ बदलाव करें। अधिक मसालेदार, तैलीय और गर्म खाद्य पदार्थों से बचें। शरीर में भीतरी शीतलता को बढ़ावा देने के लिए नारियल पानी, ताजे फल जैसे कमलाक (pomegranate) और खीरा खाना लाभकारी होता है। इसके अलावा, आंवले का रस या शरबत भी फायदेमंद रहता है, इसे नियमित पीने से शरीर से पित्त शांत हो सकता है।
घरेलू उपचार के तौर पर, एक चम्मच गाय का घी लेकर इसे छालों पर लगाएँ। यह जलन को कम करता है। तृणमूल का रस या एलोवेरा का गूदा भी छालों पर लगाया जा सकता है। दिन में दो-तीन बार करें। इसके साथ अगर हो सके, तो खाने के बाद त्रिफला चूर्ण एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेना भी लाभकारी हो सकता है। यह पाचन सुधारने में मदद कर सकता है।
यदि इन उपायों के बाद भी छाले बार-बार हो रहे हैं, तो किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें, ताकि वो आपके पित्त असंतुलन या किसी अन्य विकार की जाँच कर सकें। अगर छाले खून करने लगें या बहुत दर्दनाक हों, तो यह एक मेडिकल स्थिति हो सकती है जिसके लिए त्वरित चिकित्सा की आवश्यकता होती है। ध्यान दें कि कोई भी उपाय बिना उचित परामर्श के न करें, खासकर अगर समस्या बढ़ रही हो।


