आपकी स्थिति पर विचार करते हुए, ऐसा लगता है कि शुक्रपात और पेट की समस्याएं आपके शरीर में वात का असंतुलन और अग्नि की कमी से उत्पन्न हो रही हैं। यह अस्थिरता नाड़ियों की कमजोरी और पाचन तंत्र की अप्रभावित स्थिति का संकेत हो सकती है।
पहले, अग्नि को संतुलित करने के लिए आप आहार में पाचन सुधारने वाले तत्व सम्मिलित करें। जैसा कि अदरक, अजवाइन और हींग - इन्हें भोजन में शामिल करके पाचन शक्ति को बढ़ावा दें। अधिक तले-भुने और मसालेदार खाद्य पदार्थों से बचें, जो पेट में जलन को बढ़ा सकते हैं।
दूसरा, नाड़ियों की मजबूती के लिए, अश्वगंधा और शतावरी का सेवन करें। यह जड़ी-बूटियाँ नाड़ियों को पोषण देती हैं और मानसिक तनाव को कम करती हैं। इसे दूध के साथ दिन में दो बार लिया जा सकता है।
इसके साथ ही, प्रतिदिन प्राणायाम और धीमी गति से योगासन करने की सलाह दी जाती है, जैसे कि वज्रासन और योग निद्रा, जो आपकी नसों और मन दोनों को आराम देंगे।
यदि यह स्थिति में सुधार नहीं होता, तो किसी कुशल चिकित्सक से व्यक्तिगत रूप से सलाह लेना बेहद आवश्यक है। स्थितियाँ जैसे बार-बार हो रहे स्वतः शुक्रपात और पेट की गंभीर समस्या, अधिक चिकित्सा ध्यान की जरूरत की ओर इशारा कर सकती हैं। सुरक्षित और समुचित देखभाल सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।


