नमस्ते डॉक्टर, मेरी उम्र 35 साल है। पिछले 2 महीने से गर्दन (सर्वाइकल) में दर्द रहता है। कभी-कभी हाथ में झनझनाहट भी होती है। - #27940
नमस्ते डॉक्टर, मेरी उम्र 35 साल है। पिछले 2 महीने से गर्दन (सर्वाइकल) में दर्द रहता है। कभी-कभी हाथ में झनझनाहट भी होती है। कृपया बताएं मुझे कौन-सी आयुर्वेदिक दवा या घरेलू उपाय करना चाहिए? और क्या पंचकर्म की ज़रूरत है?”
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Doctors’ responses
Avoid pillow while sleeping, collor belt use kijiye, jyada bike riding , driving avoid kijiye, Daily cervical exercise kijiye Cap palsineuron 1 BD Tab trayodashanga guggulu 1 tid Prasaranyadi kashya 15 ml bd before food Shadbindu taila 2 drops on each nostrill early morning on empty stomach Prasaranyadi taila for massage…pehle oil lagake then mild cervical exercise kijiye If possible visit the nearby panchakarma centre and take one course of greeva basti and Nasya karma
नमस्ते रंजीत जी…आजकल की रोजमर्रा की नियमित गतिविधि.आरामदायक जीवन…कुर्सी का काम… तथा ज्यादातर मात्रा में तकिया तथा मोबाइल का ज्यादा प्रयोग द्वारा ये समस्या आम देखी जा रही है…लेकिन समय रहते इसका इलाज किया जाए तो यही ठीक हो जाती है…
दिव्य पीडनिल गोल्ड टैब=1=1 गोली सुबह शाम ख़ाली पेट सेवन
दिव्य लाक्षचादि गूगल दिव्य शिलाजीत रसायन दिव्य विश्टिंदुक वटी=1=1 गोली सुबह शाम भोजन के बाद सेवन करें…
क्षीरबला तैल=प्रभावित स्थान में मसाज करें
आरामदायक चीजों को त्यागे
निश्चित ही आराम होगा
सर्वाइकल दर्द और हाथ में झनझनाहट की समस्या वात और पित्त विकृति के कारण हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार, आपके लिए सबसे पहले जीवनशैली और आहार में सुधार जरूरी है। आप दिन में नियमित हल्की, गरम पानी की सिकाई गर्दन पर कर सकते हैं। एरंड तेल से रात में मसाज करने से भी आराम मिल सकता है। अदरक वाली चाय सेवन करने से सूजन कम हो सकती है।
आपके भोजन में अदरक, हल्दी और लहसुन जैसी औषधीय सामग्रियों का उपयोग बढ़ाएं। ये सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं। बाजरा, मेथी, और मक्का जैसी गरम तासीर की चीज़ों का सेवन लाभकारी होगा। खट्टे, तले पदार्थ और बहुत ठंडे भोजन को अवॉइड करें।
भृंगराज अथवा गुग्गुलु पाउडर भी आप ले सकते हैं, इन्हे दूध के साथ लेना लाभदायक होगा। आपके लिए योगासन भी महत्वपूर्ण हो सकता है, जैसे भुजंगासन, और मार्जारासन - ये आपकी रीढ़ को लचीलापन प्रदान कर सकतें हैं और दर्द को कम करते हैं। लेकिन ये सुनिश्चित करें कि आप इसे सही तरीके से कर रहें हैं, गलत आसनों से समस्या बढ़ सकती है।
पंचकर्म से सम्बंधित, बस्ति कर्म (एनिमा), और शिरोधारा जैसी प्रक्रियाएं आपके मामले में राहत दे सकती हैं। हालाँकि, किसी प्रामाणिक आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में ही इसे कराएं, क्योंकि हर किसी की प्रकृति अलग होती है और इसलिए पंचकर्म की ज़रूरत भी भिन्न हो सकती है।
यह भी ध्यान दें कि अगर दर्द और झनझनाहट बढ़ रही है, तो तुरंत एक आर्थोपेडिक डॉक्टर की सलाह लें, क्योंकि कभी-कभी ये कंडीशंस त्वरित चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है। अपनी चिकित्सीय स्थिति के अकोर्डिंग किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ से मिल कर एक वैयक्तिगत उपचार योजना बनाना सही रहेगा।
गर्दन के दर्द और हाथ में झनझनाहट की समस्या अक्सर वात दोष में असंतुलन के कारण हो सकती है। यह स्थिति अक्सर रीढ़ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों में तनाव या सूजन से जुड़ी होती है। आप कुछ आयुर्वेदिक उपाय और सुखदायक अभ्यासों को अपना सकते हैं।
शिरोअभ्यंग, जो सिर और गर्दन की मालिश है, तिल के तेल या महा नारायण तेल से रोज़ाना कम से कम 15-20 मिनट तक करें। यह मांसपेशियों को आराम देगा और रक्त संचार को बढ़ाएगा। इसके अलावा, घृतकुमारी (एलोवेरा) के रस का सेवन भी सूजन को कम करने और वात को संतुलन में रखने में मदद कर सकता है। इसे खाली पेट ताज़े तौर पर लेना बेहतर होगा।
पंचकर्म, विशेष रूप से बस्ती और नस्य, इस स्थिति के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है क्योंकि यह शरीर से अशुद्धियों को बाहर निकालने और वात दोष को संतुलित करने में सहायक है। इसके लिए किसी अनुभवी पंचकर्म चिकित्सक की सलाह लेकर ही आगे बढ़ें।
यदि आपके लक्षण जैसे झनझनाहट बढ़ रहे हैं या किसी प्रकार की कमजोरी महसूस हो रही है, तो नियमित चिकित्सक से भी संपर्क करें। यह भी सुनिश्चित करें कि आपकी कार्य शैली जैसे कंप्यूटर पर बैठकर काम करना या खराब पोस्चर, दर्द को बढ़ाने वाले कारण न हों।
अपने जीवनशैली में योग को शामिल करें। हल्के स्ट्रेचिंग और ब्रीदिंग एक्सरसाइज से लंबे समय में काफी फ़ायदा होगा। साथ ही, अपने भोजन में गर्म और ताज़ा पदार्थों को शामिल करना भी फायदेमंद रहेगा क्योंकि ये पाचन को सुधारने और ऊर्जा देने में सहयोगी होते हैं।
याद रहे, अगर आपको दर्द असहनीय लगे या स्थिति न सुधरे, तो तुरंत चिकित्सकीय ध्यान आवश्यक है।

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