HELLO SHRAVAN,
Migraine is a type of recurrent headache, usually affecting one side of the head, often accompanied by nausea, vomiting, sensitivity to light and sound, irritability and sometimes aura- visual disturbance before the pain
In Ayurveda , this is compared to “Ardhavabhedaka” - a disorder of the nervous system, primarily caused by vitiation of vata and pitta doshas, and sometimes involving kapha
CAUSES Ayurveda explains that certain habits and environmental factors disturb the dosha balance, especially vata and pitta, leading to migraine
COMMON CAUSES -Irregular lifestyle= late nights, skipping meals, long screen time -mental stress- anger, anxiety, overthinking, pressure, emotional strain -Improper diet- spicy, sour, fermented, stale or fast foods -excess caffeine or alcohol -fasting or long gaps between meals -exposure to bright light, loud noise, or strong smeels -indigestion or constipation -hormonal imbalance
TREATMENT GOALS -pacify vata and pitta doshas -clear toxins and restore digestion -improve brain and nerve nourishment -reduce frequency and severity of attacks -promote relaxation and mental calmness -prevent recurrence through lifestyle correction
INTERNAL MEDICATIONS
1) PATHYADI KASHAYA= 20ml twice daily after meals with warm water for 3 months =balances pitta and vata; specific for migraine type headache
2) SUTSEKHAR RAS= 1 tab twice daily after meals for 3 months =reduces hyperacidity, and pitta aggravation, relieves nausea and burning
3) GODANTI BHASMA= 125 mg with honey or ghee twice daily for 3 months =cooling, antipyretic, effective for burning type headaches
4) BRAHMI VATI= 1 tab twice daily afte meals for 3 months =improves memory, reduces stress, stabilises mind
5) ASHWAGANDHA CHURNA= 1 tsp with warm milk at night =reduces stress and strengthens nerves
6) TRIPALA CHURNA= 1 tsp with warm water at bedtime =corrects digestion and constipation
EXTERNAL THERAPIES
These will focus on the head region and nervous relaxation,
1) NASYA = instill 2 dropps of Anu taila in each nostril daily morning =clears head channels , relieves congestion, balances vata
2) HEAD MASSAGE= daily head massage with chandanadi taila =improves circulation, relaxes mind, relieves pain
DIET -warm, freshly cooked food -ghee in moderate amount- nourishes the brain -sweet fruits like banana, grapes, apples -milk with turmeric or cardamom -moong dal khichdi, rice, wheat, cooked vegetables -herbal tas= coriander, cumin, fennel -plenty of water and fluids
AVOID -spicy,sour, oily and fried foods - cheese, curd, fermented or packaged items -coffee, alcohol and carbonated drinks -excess fasting or irregular eating -strong smells and junk foods
LIFESTYLE MODIFICATION -maintain regular sleep 7-8 hours, sleep early and wake early -avoid loud sounds, bright lights, and excessive screen time -take breaks during work; do not strain eyes continuously -manage stress through relaxation techniques -apply Chandan oil on the scalp before bath -avoid skipping meals or excessive fasting -engage in calm, positive activites- reading, walking, nature exposure
YOGA AND PRANAYAM -shashankasana -balasana -setu bandhasana -viparita karani -shavasana
PRANAYAM -Anulom vilom -bhramari -sheetali and sheetkari
HOME REMEDIES -coriander seed water- soak overnight, strain and drink in morning -sandalwood paste- apply on forehead to cool the pitta -rose water drops= 1-2 drops in eyes or apply on temples -tulsi + ginger tea= useful if migraine is triggered by cold or congestion -coconut water= natural coolant, balances pitta -oil massage= once or twice a week before bath
Migraine is a psychosomatic disorder- meaning it arises from both physical and emotional imbalance. Ayurveda offers a holistic root cause based approach not just temporary pain relief
Patience and consistency are key- relief starts within a few weeks, but long term stability requires 3-6 months of proper treatment, diet and yoga
DO FOLLOW
HOPE THIS MIGHT BE HELPFUL
THANK YOU
DR. MAITRI ACHARYA
हॅलो श्रवण जी, माइग्रेन (अर्धावभेदक) एक प्रकार का शिरःशूल (सिरदर्द) है, जो मुख्यतः वात और पित्त दोषों की असंतुलनता से उत्पन्न होता है। इसका दर्द सिर के एक हिस्से में अधिक रहता है और कुछ कारणों जैसे तेज़ गंध, प्रदूषण, खाली पेट रहना, अनिद्रा या अपच आदि से बढ़ जाता है।
आपका यह बताना कि एलोपैथी और होम्योपैथी से लाभ नहीं हुआ, यह दर्शाता है कि समस्या की जड़ में दोष संतुलन और जीवनशैली असंतुलन है, जिसे आयुर्वेदिक रूप से ठीक किया जा सकता है।
✅ संभावित कारण (Hetu / Triggers)
1. खाली पेट रहना या देर से खाना खाना 2. अत्यधिक मोबाइल/स्क्रीन देखना 3. तेज़ धूप, आवाज़ या गंध का संपर्क 4. तनाव, चिंता या नींद की कमी 5. अम्लता (Acidity) और पाचन दोष 6. ऋतु परिवर्तन या हार्मोनल बदलाव
✅ आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से उपचार (Chikitsa):
माइग्रेन का मुख्य उद्देश्य है — 👉 वात-पित्त का संतुलन, 👉 तनाव नियंत्रण और 👉 मस्तिष्क को शांति और पोषण देना।
✅ औषधोपचार (Medicines)
a. Pathyadi Kwath – 20 ml गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार भोजन के बाद। ( सिरदर्द, आंखों का दर्द और पित्त विकार में अत्यंत उपयोगी)
b. Sutshekhar Ras (Plain) – 1 गोली दिन में दो बार खाने के बाद, सादा पानी से। ( पित्तजन्य सिरदर्द, एसिडिटी और उल्टी की प्रवृत्ति में लाभकारी)
c. Shirashooladi Vajra Ras – 1 गोली सुबह-शाम भोजन के बाद। (माइग्रेन और अर्धावभेदक के लिए विशेष दवा)
✅बाह्य चिकित्सा (External Therapies)
a. शिरोधारा (Shirodhara) – ब्राह्मी तेल, केशराज तेल या नारायण तेल से, सप्ताह में 2 बार। मस्तिष्क को शांति, नींद में सुधार और दर्द में कमी देता है।
b. नस्य कर्म (Nasal Therapy) – सुबह खाली पेट Anu Taila या Shadbindu Taila की 2–2 बूँदें प्रत्येक नथुने में डालें। सिर के दोषों को बाहर निकालकर दर्द और माइग्रेन को नियंत्रित करता है।
✅आहार संबंधी सुझाव (Diet Recommendations)
✅ लाभकारी चीजें:
गुनगुना दूध, घी, मूंग की दाल, खिचड़ी, हरी सब्ज़ियाँ तुलसी, ब्राह्मी, आंवला, नारियल पानी नियमित भोजन — न अधिक भूख, न अधिक पेट भरा
❌ बचें:
कॉफी, चाय, ठंडी चीज़ें, फ्रिज का पानी चॉकलेट, चीज़, तेज़ गंध वाले परफ्यूम देर रात तक जागना, स्क्रीन पर ज़्यादा समय
✅जीवनशैली (Lifestyle Tips)
रोज़ाना ब्राह्मी या नारायण तेल से सिर पर हल्का मालिश करें। नियमित योग और प्राणायाम करें — विशेषतः अनुलोम विलोम, भ्रामरी, शीतली प्राणायाम। रोज़ाना एक समान समय पर सोने और जागने की आदत डालें। तनाव से बचें, सकारात्मक सोच रखें।
✅ घरेलू उपाय (Home Remedies)
1. आंवला रस 10ml + शहद 1 tsp – सुबह खाली पेट। 2. पुदीना या तुलसी की चाय – दर्द के समय शांति देती है। 3. घी की 2 बूंदें नाक में डालें – नस्य के रूप में उपयोगी। 4. माथे पर चंदन या कपूर जल लगाना शीतलता देता है।
आपकी माइग्रेन समस्या वात-पित्त असंतुलन, पाचन कमजोरी और मानसिक तनाव से जुड़ी है। नियमित दिनचर्या, आहार सुधार, तनाव नियंत्रण और उपरोक्त आयुर्वेदिक उपचार से इस समस्या में स्थायी सुधार संभव है।
डॉ स्नेहल विधाते
Avoid ,chilled, processed foods. Regular exercise and meditation. Increase intake of raw vegetables and fruits. Cap. Neurogrex 1-1-2 Follow up after 4weeks
Start on Medha vati 1-0-1 Brahmi vati1-0-1 Shankapuspi syrup 10 -0-10 ml Practice pranayama meditation
Aap medicine lae saath lifestyle aur diet ka bhi Dhyan rakna bahut jaruri hai Jaise daily same time par utna aur sonae ki adaat karna hai Stress ko control karna hai Rojana pranayama meditation karne ki adaat karna hai Jyadataar tv : mobile daekna avoid karna hai Junk foods fried foods coffee avoid karo Fresh fruits vegetables whole grains nuts Lena hai Jyadatar pain peens hai Brahmi. Vati 1-0-1 Shankapuspi churna 1/2 tsp -0-1/2 tsp with water Giloy tab 1-0-1 Saraswathi aristha 20 ml din mei do baar kana kanae kae baad
चिंता की कोई जरूरत नहीं श्रवण कुमार जी…माइग्रेन या आधा शीशी का रोग का आयुर्वेद में स्थाई समाधान है:
दिव्य न्यूरो ग्रीट गोल्ड कैप्सूल =१/१ सुबह शाम ख़ाली पेट सेवन
शिर शूल आदि वज्र रस मेधा वटी=२/२ सुबह शाम खाने के बाद सेवन करें
ज्योतिष्मती ऑयल=२/२ ड्रॉप दोनों नायिकाओं में डाले रात को सोने से पूर्व
चटपटा भोजन ना खाए
औषधि रूप खुराक उपयोग Sarpagandha Vati गोली 1-2 गोली सुबह/शाम सिर दर्द कम करता है, ब्लड प्रेशर स्थिर रखता है Brahmi (Bacopa monnieri) क cápsule या चूर्ण 1 ग्राम दिन में 2 बार दिमाग शांत, तनाव कम, माइग्रेन अटैक कम करता है Shankhpushpi सिरप / क cápsule 10-15 ml / 1-2 गोली दिन में 2 बार मानसिक तनाव और तंत्रिका बल बढ़ाता है Guduchi (Tinospora cordifolia) क cápsule / चूर्ण 500 mg दिन में 2 बार शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, सिर दर्द कम करता है Triphala churna चूर्ण 1 चम्मच रात को दूध या पानी के साथ पाचन ठीक रखता है, toxins कम करता है माइग्रेन अटैक के समय: 1 चम्मच अश्वगंधा का पेस्ट या तुलसी की पत्ती चबाना कुछ राहत दे सकता है गुनगुना पानी पिएँ और अँधेरे कमरे में विश्राम करें 3️⃣ जीवनशैली / डायरी स्लीप रूटीन: रोज़ एक ही समय पर सोना और उठना योग और प्राणायाम: अनुलोम विलोम, भ्रामरी, चंद्र प्राणायाम (5–10 मिनट) हल्के स्ट्रेच और कम शारीरिक तनाव तनाव प्रबंधन: ध्यान (Meditation) और ट्रिगर डायरी रखें: नोट करें कि किस समय, कौनसी चीज़/परिस्थिति से अटैक आया सिर पर ठंडी पट्टी या ताजगी वाली तेल मालिश: कपालभाति तेल, नारियल तेल या तुलसी का तेल हल्का मालिश
माइग्रेन का उपचार आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से करते समय, ये महत्वपूर्ण है कि आपकी प्रकृति और जीवनशैली पर ध्यान दिया जाए। माइग्रेन आमतौर पर वात और पित्त दोष के असंतुलन से जुड़ा होता है।
पहले, आप अपने खान-पान में बदलाव करें। भारी भोजन से बचें और नियमित रूप से हल्का, आसानी से पचने वाला भोजन करें। ऐसे खाद्य पदार्थ से परहेज करें जो आपके माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं जैसे खट्टे और मसालेदार भोजन। रोज़ खाने में ताजे फल, हरी सब्जियाँ, और साबुत अनाज शामिल करें। दिन में तीन बार थोड़ी मात्रा में अदरक की चाय पीना फायदेमंद हो सकता है। अदरक का पाउडर और शहद मिलाकर भी छोटे हिस्सों में ले सकते हैं।
शिरोधारा और अभ्यंग (सिर मसाज) जैसे पंचकर्म थेरेपी भी आराम और तनाव कम करने में मदद कर सकते हैं। सिर पर बाभुल के तेल की मालिश सोने से पहले करना भी कुछ लोगों के लिए लाभकारी हो सकता है।
व्यायाम और योगा आपकी दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट योग और प्राणायाम करें। विशेष रूप से शवासन और अनुलोम विलोम प्राणायाम तनाव कम करने में मदद कर सकते हैं।
नियमित नींद और आराम का ध्यान रखना आवश्यक है। धूप और प्रदूषण से बचें। अगर कोई सुगंध आपको प्रभावित करती है तो उसे पहचानकर उससे दूरी बनाना फायदेमंद रहेगा।
यदि परिस्थिति गंभीर होती है और माइग्रेन के दौरों की संख्या बढ़ती है, तो एक चिकित्सक से परामर्श करें जो आपके लिए व्यक्तिगत रूप से उपयुक्त उपचार योजना तैयार कर सके।
अपने शरीर की प्रकृति और संकेतों को सुनें, और छोटी चीजें उन पर कितना प्रभाव डालती हैं, इस दृष्टिकोन से उनकी पहचान करें। यदि आपको कभी जरूरत महसूस हो तो चिकित्सा सलाह जरुर लें, ये आवश्यक है कि किसी इमरजेंसी में तुरंत सही कदम उठाया जाए।
1.पथ्यादि क्वाथ 20 ml सुबह-शाम भोजन से पहले 2.शिरःशूलादिवज्र रस शिरःशूलादिवज्र रस दूध साथ 3. नस्य कर्म - अनुतैल या शतबिंदु तेल की 2-2 बूंदें सुबह-शाम नाक में डालें
शिरोधारा चिकित्सा - इसमें औषधीय तेल जैसे ब्रह्मी तेल या दशमूल तेल को लगातार माथे पर डाला जाता है। - यह मानसिक तनाव को कम करता है और माइग्रेन के कारणों को शांत करता है।
जीवनशैली और खानपान - ठंडी चीज़ें, तेज गंध, प्रदूषण, अत्यधिक मसालेदार भोजन से बचें। - गुनगुना पानी, तुलसी चाय, सादा भोजन और नियमित नींद माइग्रेन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
घरेलू उपाय - पुदीना तेल या लैवेंडर ऑयल की कुछ बूंदें सिर पर लगाएं। - तुलसी और अदरक की चाय पीने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है। - गर्म पानी की सिकाई या ठंडी पट्टी सिर पर रखें, यह दर्द को कम करता है।
नमस्ते श्रवण,
माइग्रेन एक प्रकार का बार-बार होने वाला सिरदर्द है, जो आमतौर पर सिर के एक तरफ होता है, जिसके साथ अक्सर मतली, उल्टी, प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता, चिड़चिड़ापन और कभी-कभी दर्द से पहले आभा-दृश्य गड़बड़ी भी होती है।
आयुर्वेद में, इसकी तुलना “अर्धवाभेदक” से की जाती है - तंत्रिका तंत्र का एक विकार, जो मुख्य रूप से वात और पित्त दोषों के बिगड़ने के कारण होता है, और कभी-कभी कफ से भी जुड़ा होता है।
कारण आयुर्वेद बताता है कि कुछ आदतें और पर्यावरणीय कारक दोषों, विशेष रूप से वात और पित्त के संतुलन को बिगाड़ देते हैं, जिससे माइग्रेन होता है।
सामान्य कारण -अनियमित जीवनशैली = देर रात तक जागना, भोजन छोड़ना, लंबा स्क्रीन टाइम -मानसिक तनाव = क्रोध, चिंता, अति-विचार, दबाव, भावनात्मक तनाव -अनुचित आहार = मसालेदार, खट्टा, किण्वित, बासी या फास्ट फूड -अत्यधिक कैफीन या शराब -उपवास या भोजन के बीच लंबा अंतराल -तेज रोशनी, तेज आवाज या तेज बदबू -अपच या कब्ज -हार्मोनल असंतुलन
उपचार के लक्ष्य -वात और पित्त दोषों को शांत करना -विषाक्त पदार्थों को साफ़ करना और पाचन क्रिया को दुरुस्त करना -मस्तिष्क और तंत्रिका पोषण में सुधार -दौरों की आवृत्ति और गंभीरता को कम करना -आराम और मानसिक शांति को बढ़ावा देना -जीवनशैली में सुधार के माध्यम से पुनरावृत्ति को रोकना
आंतरिक औषधियाँ
1) पथ्यादि कषाय = 3 महीने तक भोजन के बाद दिन में दो बार 20 मिलीलीटर गर्म पानी के साथ =पित्त और वात को संतुलित करता है; माइग्रेन जैसे सिरदर्द के लिए विशेष
2) सुतशेखर रस = 3 महीने तक भोजन के बाद दिन में दो बार 1 गोली =अतिअम्लता और पित्त की वृद्धि को कम करता है, मतली और जलन से राहत देता है
3) गोदंती भस्म = 125 मिलीग्राम शहद या घी के साथ दिन में दो बार 3 महीने तक =शीतल, ज्वरनाशक, जलन जैसे सिरदर्द के लिए प्रभावी
4) ब्राह्मी वटी = 3 महीने तक भोजन के बाद दिन में दो बार 1 गोली =याददाश्त बढ़ाता है, तनाव कम करता है, मन को स्थिर करता है
5) अश्वगंधा चूर्ण = रात में गर्म दूध के साथ 1 चम्मच =तनाव कम करता है और नसों को मजबूत करता है
6) त्रिपाल चूर्ण = सोते समय गर्म पानी के साथ 1 चम्मच =पाचन और कब्ज को ठीक करता है
बाह्य चिकित्सा
ये सिर के क्षेत्र और तंत्रिका विश्राम पर केंद्रित होंगी,
1) नास्य = प्रत्येक नासिका छिद्र में अणु तेल की 2 बूँदें डालें रोज़ सुबह =सिर की नाड़ियों को साफ़ करता है, जमाव से राहत देता है, वात को संतुलित करता है
2) सिर की मालिश= चंदनादि तेल से रोज़ाना सिर की मालिश =रक्त संचार में सुधार, मन को आराम, दर्द से राहत
आहार -गर्म, ताज़ा पका हुआ भोजन -मध्यम मात्रा में घी- मस्तिष्क को पोषण देता है -केला, अंगूर, सेब जैसे मीठे फल -हल्दी या इलायची वाला दूध -मूंग दाल की खिचड़ी, चावल, गेहूँ, पकी हुई सब्ज़ियाँ -हर्बल तड़का= धनिया, जीरा, सौंफ -खूब सारा पानी और तरल पदार्थ
इनसे बचें -मसालेदार, खट्टे, तैलीय और तले हुए खाद्य पदार्थ -पनीर, दही, किण्वित या डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ -कॉफ़ी, शराब और कार्बोनेटेड पेय -अत्यधिक उपवास या अनियमित भोजन -तेज़ गंध और जंक फ़ूड
जीवनशैली में बदलाव -नियमित रूप से 7-8 घंटे सोएँ, जल्दी सोएँ और जल्दी उठें -तेज़ आवाज़, तेज़ रोशनी और अत्यधिक स्क्रीन टाइम से बचें - काम के दौरान ब्रेक; आँखों पर लगातार दबाव न डालें - विश्राम तकनीकों के माध्यम से तनाव को नियंत्रित करें - नहाने से पहले सिर पर चंदन का तेल लगाएँ - भोजन छोड़ने या अत्यधिक उपवास से बचें - शांत, सकारात्मक गतिविधियों में शामिल हों - पढ़ना, टहलना, प्रकृति के संपर्क में आना
योग और प्राणायाम - शशांकासन - बालासन - सेतु बंधासन - विपरीत करणी - शवासन
प्राणायाम - अनुलोम विलोम - भ्रामरी - शीतली और शीतकारी
घरेलू उपचार - धनिये के बीज का पानी - रात भर भिगोएँ, सुबह छानकर पिएँ - चंदन का लेप - पित्त को शांत करने के लिए माथे पर लगाएँ - गुलाब जल की बूँदें = आँखों में 1-2 बूँदें या कनपटियों पर लगाएँ - तुलसी + अदरक की चाय = यदि माइग्रेन सर्दी या बंद नाक के कारण हो तो उपयोगी - नारियल पानी = प्राकृतिक शीतलक, पित्त को संतुलित करता है - तेल मालिश = नहाने से पहले सप्ताह में एक या दो बार
माइग्रेन एक मनोदैहिक विकार है - अर्थात यह शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह के असंतुलन से उत्पन्न होता है। आयुर्वेद केवल अस्थायी दर्द निवारण ही नहीं, बल्कि मूल कारण पर आधारित एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।
धैर्य और निरंतरता महत्वपूर्ण हैं - कुछ हफ़्तों में आराम मिलना शुरू हो जाता है, लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता के लिए 3-6 महीने तक उचित उपचार, आहार और योग की आवश्यकता होती है।
अनुसरण अवश्य करें
आशा है कि यह मददगार होगा।
धन्यवाद
डॉ. मैत्री आचार्य



