1.कृमिघ्न वटी - 2 गोली सुबह और रात खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ 2.विडंग चूर्ण - 1 चम्मच खाली पेट सुबह गुनगुने पानी के साथ 3.नीमघ्न वटी - 2 गोली सुबह और रात खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ
आहार और दिनचर्या सुझाव - परहेज़ करें: मीठा, दूध, दही, केला, तले हुए और भारी भोजन - खाएं: हल्का, गर्म, मसालेदार भोजन जैसे जीरा, अजवाइन, हल्दी युक्त सब्जियाँ - घरेलु उपाय: - अजवाइन + काला नमक: 1/2 चम्मच भोजन के बाद - लहसुन की कली: सुबह खाली पेट चबाएं
🧘♀️ शरीर को मजबूत करने के लिए - अश्वगंधा चूर्ण: 1 चम्मच रात को दूध के साथ - शतावरी चूर्ण: 1 चम्मच सुबह दूध के साथ - च्यवनप्राश: 1 चम्मच सुबह खाली पेट
Start with Vidangarist 10ml twice daily after food with water Tablet Liv-52 1-0-1 after food with water Avoid sweet, high sugar, jaggery, honey diet
नमस्ते वैभव
आपकी समस्या आंतों में कीड़े (Intestinal Worms / Krimi Rog) से संबंधित है, जो लंबे समय से बार-बार हो रही है। ऐसा तब होता है जब पाचन अग्नि कमजोर, आहार असंतुलित या स्वच्छता का ध्यान ठीक से नहीं रखा जाता। लगातार कीड़े रहने से शरीर का पोषण ठीक से नहीं होता, इसलिए वज़न नहीं बढ़ता, कमजोरी, भूख न लगना और थकान जैसी शिकायतें बनी रहती हैं।
आयुर्वेदिक उपचार (Medicines)
आपके जैसे पुराने केस में केवल एल्बेंडाजोल (Allopathic deworming) लेने से अस्थायी राहत मिलती है, लेकिन जड़ से इलाज के लिए अग्नि सुधार और कीड़े नाशक दोनों ज़रूरी हैं।
✅Krimighna (Worm Killing) औषधियां:
1. Vidangarishta – 20 ml दिन में 2 बार भोजन के बाद पानी के साथ 2. Krimimudgar Ras – 1 गोली दिन में 2 बार भोजन के बाद गुनगुने पानी से 3. Vidangaristha 30ml-0-30ml गुनगुने पानी के साथ 4. Neem capsule – 1-0-1 सुबह-शाम
✅पाचन सुधारने के लिए:
1. Hingvashtak Churna – 1 चम्मच भोजन के बाद गुनगुने पानी से 2. Chitrakadi Vati – 1 गोली दो बार भोजन के पहले 3. Arogyavardhini Vati – 1 गोली दिन में दो बार (यदि कब्ज या भूख कम हो)
✅घरेलू उपाय (Home Remedies):
1. सुबह खाली पेट 2 चम्मच कच्चा नारियल या नारियल पानी, 3 घंटे बाद 30 ml castor oil (एरंड तेल) गुनगुने दूध के साथ लें — यह पुराने कीड़ों को बाहर निकालता है। 2. रोज़ सुबह खाली पेट 1 गिलास गाजर का रस लें। 3. पपीते के बीज 5–6 को पीसकर शहद के साथ सुबह लें (7 दिन तक)। 4. रोज़ाना भोजन से पहले थोड़ी अजवाइन + काला नमक चबाएं।
✅ आहार-विहार (Diet & Lifestyle):
✅ क्या खाएं:
हल्का सुपाच्य खाना, मूंग दाल, लौकी, तोरई, चावल गुनगुना पानी नीम की पत्तियां कभी-कभी चबाएं
❌क्या न खाएं:
मिठाई, दूध, दही, मैदा, बिस्किट, जंक फूड ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक, बासी खाना दिन में सोना
उपचार के साथ स्वच्छता, नियमित मल त्याग और पाचन सुधार ज़रूरी है, वरना कीड़े फिर लौट आते हैं।
शुभकामनाएं Dr Snehal Vidhate
पेट में कीड़ों की समस्या लंबे समय से बनी रहना जाहिर तौर पर आपके लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। यह समस्या अक्सर पाचन प्रणाली की कमजोरी, दूषित वातावरण, या आहार के कारण हो सकती है। आपके मामले में, आपको एक गहरी और दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है।
आयुर्वेद में, यह समस्या ‘कृमी रोग’ के अन्तर्गत आती है, और इसका इलाज दोष संतुलन, पाचन शक्ति (अग्नि) को मजबूत करने और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके किया जाता है। आप निम्नलिखित आयुर्वेदिक सुझावों पर विचार कर सकते हैं:
1. आहार में सुधार: - अपने आहार में हलके और सुपाच्य भोजन को शामिल करें। गरम और ताजा खाना ग्रहण करें। - फल, हरी सब्जियाँ, और मूंग दाल, खिचड़ी का सेवन बढ़ाएँ।
2. तुलसी और अदरक का प्रयोग: - तुलसी के पत्तों का रस दिन में दो बार 5-10 बूँद पियें। - अदरक के छोटे टुकड़े को चबाएं या अदरक का रस एक चम्मच लें।
3. पंचकर्म: - पंचकर्म, विशेषकर विरेचन (लक्ष्यबद्ध रूप से शुद्धिकरण) आपके शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने और कीड़ों को समाप्त करने में मददगार साबित हो सकता है। सुनिश्चित करें कि यह प्रक्रिया किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में हो।
4. कृमि अनुलोमक चूर्ण: - यह आयुर्वेदिक चूर्ण कृमी के संक्रमण को कम करने में प्रभावी होता है। इसे एक चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह के बाद दिन में दो बार खाली पेट लें।
5. योग और प्राणायाम: - नियमित योग और प्राणायाम आपकी पाचन शक्ति बढ़ाते हैं और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।
6. आयुर्वेदिक परामर्श: - किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से नियमित परामर्श लें। यह उनके निर्देशन में व्यक्तिगत और सहायक उपचार रणनीतियों को लागू करने में मदद करेगा।
ध्यान रखें कि दीर्घकालिक या गंभीर स्थितियों में, किसी चिकित्सक का परामर्श लेना अति आवश्यक होता है। आपकी स्थिति लंबे समय से बनी हुई है, इसलिए एक सक्षम आयुर्वेदिक चिकित्सक के संपर्क में रहना सबसे अच्छा होगा।
Vidangasava 4 tsp with equal quantity of water twice daily after food Arogyavardini vati 1-0-1 Triphala churna 1 tsp with warm water at night Avoid sweet and bakery products
Take Krimimudgar rasa 1-0-1 forb3 days then repeat after 15 days for 3 days Chitrakadi vati 1-0-1 Vidangasava 10-0-10ml Drakshaaristha 10-0-10 ml Avoid sweets heavy food milk oily foods during treatment
HELLO VAIBHAV,
19 year old person suffering from recurrent intestinal worms for about 6 years, with symptoms like failure to gain weight and persistent digestive issues
In Ayurveda, Krimi roga arises due to -weak digestive fire -improper diet habits -accumulation of undigested food -poor hygiene and irregular bowel movements
These factors create an environment where intestinal parasites (worms) thrive. Chronic infestation leads to weakness, low weight, loss of appetite, and general debility
AYURVEDIC MANAGEMENT PLAN
1) DEEPANA- PACHANA (enhancing digestion and removing toxins) To improve digestion and remove Ama
-TRIKATU CHURNA= 1/2 tsp twice a day before food with warm water
- HINGWASTAKA CHURNA= 1/2 tsp after meals to improve appetite and digestion
2) ANTI PARASITIC TREATMENT To eliminate worms from the intestines
-VIDANGA CHURNA= 1/2 tsp twice daily with warm water
-KRIMIMUDGAR RAS= 1 tab twice daily after meals with warm water
-NEEM CAPSULES= 1 cap twice daily after meals for internal cleansing and antimicrobial action
Take for 7-10 days, then repeat after 15 days if necessary
3) VIRECHANA (mild purgation for complete cleansing) After the initial course of Krimighna herbs, do mild cleansing -CASTOR OIL= 2 tsp in warm milk early morning once a week for 2-3 weeks (strictly dont take daily- once in a week preferable Saturday) = this helps flush out remaining worms and toxins
4) REJUVINATION AND NOURISHMENT Once digestion improves and worms are cleared, strengthen the body
-CHYAWANPRASHA= 1 tsp daily in morning to improve immunity and weight gain
-ASHWAGANDHA LEHYA= 1 tsp with milk at bedtime to build strength and muscle
-DRAKSHARISHTA= 2 tsp twice daily after meals to improve appetite and digestion
5) DIET -Avoid sweets, bakery items, and fermented foods- they aggravate krimi -Include garlic, turmeric, ginger, and black pepper in the diet- natural anti parasitic -Eat freshly cooked, light, and warm food -drink lukewarm water and avoid cold, stale, or heavy food -take buttermilk with a pinch of black salt and cumin daily- improves digestion
6) LIFESTLYE MEASURES -maintain proper hygiene- wash hands before eating -trim nail regularly and avoid eating food outside frequently -get deworming every 6 months- natural or medical -practice suryanamaskar, and pavanmuktasana daily for digestive health
DO FOLLOW
HOPE THIS MIGHT BE HELPFUL
THANK YOU
DR. MAITRI ACHARYA
नमस्ते वैभव,
19 वर्षीय व्यक्ति लगभग 6 वर्षों से बार-बार होने वाले आँतों के कीड़ों से पीड़ित है, जिसके लक्षण हैं: वज़न न बढ़ना और लगातार पाचन संबंधी समस्याएँ।
आयुर्वेद में, कृमि रोग निम्न कारणों से उत्पन्न होता है: -कमज़ोर पाचन अग्नि -अनुचित आहार-विहार -अपचित भोजन का संचय -अस्वच्छता की कमी और अनियमित मल त्याग।
ये कारक एक ऐसा वातावरण बनाते हैं जहाँ आँतों के परजीवी (कृमि) पनपते हैं। लंबे समय तक संक्रमण से कमजोरी, कम वजन, भूख न लगना और सामान्य दुर्बलता हो सकती है।
आयुर्वेदिक प्रबंधन योजना
1) दीपन-पाचन (पाचन को बेहतर बनाना और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना) पाचन में सुधार और आमाशय को दूर करने के लिए
-त्रिकटु चूर्ण = भोजन से पहले दिन में दो बार आधा चम्मच गर्म पानी के साथ
- हिंग्वाष्टक चूर्ण = भूख और पाचन में सुधार के लिए भोजन के बाद आधा चम्मच
2) परजीवी-रोधी उपचार आंतों से कीड़ों को खत्म करने के लिए
-विदंग चूर्ण = दिन में दो बार आधा चम्मच गर्म पानी के साथ
-कृमिमुद्गर रस = भोजन के बाद दिन में दो बार 1 गोली गर्म पानी के साथ
-नीम कैप्सूल = आंतरिक सफाई और रोगाणुरोधी क्रिया के लिए भोजन के बाद दिन में दो बार 1 गोली
7-10 दिनों तक लें, फिर ज़रूरत पड़ने पर 15 दिनों के बाद दोहराएँ
3) विरेचन (पूर्ण सफाई के लिए हल्का विरेचन) कृमिघ्न जड़ी बूटियों का प्रारंभिक कोर्स, हल्की सफाई करें -अरंडी का तेल = 2 चम्मच गर्म दूध में सुबह-सुबह, सप्ताह में एक बार, 2-3 हफ़्तों तक (रोज़ाना न लें - सप्ताह में एक बार, बेहतर होगा शनिवार को) = यह बचे हुए कृमियों और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है
4) कायाकल्प और पोषण पाचन में सुधार और कृमि मुक्त होने के बाद, शरीर को मज़बूत बनाएँ
-च्यवनप्राश = रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और वज़न बढ़ाने के लिए रोज़ाना सुबह 1 चम्मच
-अश्वगंधा लेह्य = ताकत और मांसपेशियों के निर्माण के लिए सोते समय दूध के साथ 1 चम्मच
-द्राक्षारिष्ट = भूख और पाचन में सुधार के लिए भोजन के बाद दिन में दो बार 2 चम्मच
5) आहार -मिठाइयों, बेकरी उत्पादों और किण्वित खाद्य पदार्थों से बचें - ये कृमि को बढ़ाते हैं -आहार में लहसुन, हल्दी, अदरक और काली मिर्च शामिल करें - प्राकृतिक परजीवी रोधी -ताज़ा पका हुआ, हल्का और गर्म भोजन करें -गुनगुना पानी पिएं और ठंडा, बासी, या भारी भोजन -रोज़ाना एक चुटकी काला नमक और जीरा मिलाकर छाछ पिएँ- पाचन क्रिया में सुधार करता है
6) जीवनशैली संबंधी उपाय -उचित स्वच्छता बनाए रखें- खाने से पहले हाथ धोएँ -नियमित रूप से नाखून काटें और बाहर का खाना बार-बार खाने से बचें -हर 6 महीने में कृमिनाशक दवा लें- प्राकृतिक या चिकित्सीय -पाचन स्वास्थ्य के लिए रोज़ाना सूर्यनमस्कार और पवनमुक्तासन करें
अनुसरण करें
आशा है कि यह मददगार होगा
धन्यवाद
डॉ. मैत्री आचार्य
आपकी स्थिति को देखते हुए, सबसे पहले, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप पेट के कीड़ों या परजीवी संक्रमण का सही निदान करवा रहें हैं। यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक या पेट विशेषज्ञ से परामर्श लें, जो आपके लक्षणों की पूरी जाँच करके सही उपचार की सलाह दे सकें। हालाँकि, आयुर्वेद में कुछ उपचार है जो पेट के कीड़ों को खत्म करने में सहायक हो सकते हैं।
1. भृंगराज और विधारा: ये दोनों जड़ी-बूटियां पेट के कीड़ों के लिए कारगर मानी जाती हैं। आप भृंगराज और विधारा चूर्ण को हल्का गर्म पानी के साथ रात सोने से पहले ले सकते हैं।
2. अज्वैन और काला नमक: भोजन के बाद आधा चम्मच अज्वैन और एक चुटकी काला नमक लेने से पाचन शक्ति बेहतर होती है और कीड़े खत्म करने में मदद मिलती है।
3. तुलसी और अदरक का रस: सुबह खाली पेट 2-3 पत्तियां तुलसी और अदरक का रस लेना फायदेमंद हो सकता है।
4. हरीतकी चूर्ण: सोते समय एक चम्मच हरितकी चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से आंतरिक सफाई होती है और पाचन में सुधार होता है।
5. नियमित योग प्राणायाम: सूर्य नमस्कार और पेट को स्फूर्तिवान बनाने वाले आसनों का अभ्यास करें। इससे आप अपने पेट के कायापलट को तेज कर सकते हैं।
इस उपचार के दौरान आप अपनी भोजन शैली को भी ध्यान में रखें। तैलीय, मिर्च-मसालेदार और भारी भोजन से बचें, और फाइबर युक्त आहार जैसे साबूत अनाज, फल और सब्जियां खाएं।
ध्यान रहे, कि यदि लक्षण गंभीर हो रहे हैं तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करना आवश्यक है। और इन उपचारों को करने से पहले अपने चिकित्सक से सम्मति अवश्य लें।



