डॉ साहब बच्चा रोते हुए सांस क्यों रोक लेता है? - #4823
डॉ साहब मेरा बच्चा लगभग तेईस महीने का है जो पिछले हफ्ते में दो से तीन बार दिन में रोते हुए सांस को रोका है। ऐसा क्यों?
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Doctors’ responses
It’s possible your child is experiencing what is known as a breath-holding spell, often triggered by pain, frustration, or fear. This is common in young children and usually not harmful, but it can be distressing. Ensure your child is well-hydrated, and try to minimize stressful situations. Provide comfort and reassurance when they are upset. However, since this has happened multiple times, it’s important to consult a pediatrician to rule out any underlying medical issues, such as iron deficiency or neurological concerns, and to get guidance on managing these episodes.
नमस्ते मयंक जी,
आपके बच्चे द्वारा रोते वक्त सांस रोकने की स्थिति को “Breath-Holding Spells” कहा जाता है। यह एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है जो बच्चों में देखा जा सकता है, खासकर 6 महीने से लेकर 4 साल तक के बच्चों में।
इसके कारण: दर्द या डर: रोते हुए बच्चों का गुस्से, डर या शारीरिक दर्द के कारण अचानक सांस रुकना। भावनात्मक उत्तेजना: अत्यधिक रोने या गुस्से के कारण बच्चे की सांस रुक सकती है। शारीरिक प्रतिक्रिया: कभी-कभी बच्चों के शरीर में हृदय की धड़कन और श्वसन प्रक्रिया पर नियंत्रण का विकास पूरी तरह से नहीं होता है, जो ऐसी स्थिति पैदा कर सकता है। क्या करें: प्यार से शांत करें: बच्चे को शांत करने के लिए धीरे-धीरे और सधे हुए तरीके से बात करें। सांस को सामान्य करने में मदद करें: यदि बच्चा सांस रोकता है, तो उसे धीरे-धीरे शांत करने के लिए उसके शरीर को सहलायें और गहरी सांस लेने में मदद करें। मनोवैज्ञानिक समर्थन: बच्चों को शांत करने के लिए प्यार और सुकून देना बहुत जरूरी है। अगर समस्या बार-बार हो या गंभीर हो: यदि यह समस्या बार-बार हो रही हो या बच्चे को बेहोशी या नीला पड़ने जैसी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ता है, तो आपको बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। कभी-कभी यह किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है, जैसे कि न्यूरोलॉजिकल समस्या या हृदय रोग, इसलिए डॉक्टर से उचित परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।
धन्यवाद!
बच्चों के लगातार रोते हुए सांस रोकने की आदत थोड़ी चिंताजनक हो सकती है, लेकिन ये अक्सर कुछ समय में खुद ही ठीक हो जाता है। हो सकता है बच्चा ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसा कर रहा हो, या उसे किसी प्रकार की बेचैनी महसूस हो रही हो। पर, ये जानना जरुरी है कि ये हर बच्चे में अलग भी हो सकता है, कुछ बच्चे ज्यादा संवेदनशील होते हैं और तनाव या ध्यान की कमी की वजह से ऐसा कर सकते हैं।
आयुर्वेद में, बालक का प्रकृति (दोष) इस तरह की गतिविधियों पर प्रभावित कर सकता है। अगर बच्चा वाता प्रकृति में बढ़ा हुआ है, जैसे शारीरिक और मानसिक रूप से संवेदनशील है, तो ये उसका प्रतिक्रिया हो सकता है। जब बच्चा रोए और सांस रोके तो उसे तुरंत सुरक्षित और आरामदायक वातावरण देने की कोशिश करें।
आप कुछ आयुर्वेदिक उपाय आजमा सकते हैं:
1. बच्चा को दिन में हल्का और सुपाच्य भोजन दें, जैसे खिचड़ी या दलिया। इससे उसका पाचन सही रहेगा।
2. नारियल तेल या बादाम के तेल से पेट और पैरों की हलकी मालिश करें, इससे उसका मन शांत रहेगा।
3. उसके सोने का समय नियमित रखें और उसके कमरे का माहौल शांत और अंधेरे में सोने के अनुकूल बनाएं।
लेकिन ध्यान रहे, अगर बच्चा लगातार ज्यादा वक्त तक सांस रोकता है या उसकी चेतना में कोई बदलाव दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। ये कभी-कभी गंभीर भी हो सकता है। सुनिश्चित करें कि दिन भर में बच्चा सुरक्षित और प्रसन्नचित रहे।

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