क्या AVM बिना ओप्रेशन के ठीक हो सकता है - #30049
महेश कुमार , उम्र-35 diagnosis in mri and DSA - Spinal glomus AVM Chief Complan-पेशाब और बाथरूम उस समय बंद हो गया था लेकिन अब सब कुछ सामान्य है और sevior pain in lower back and hypoplagia in right side उस समय था क्या इस समस्या का सामाधान आयुर्वेद में संभव है कृपया बताए
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Doctors’ responses
Spinal ACM is a rare vascular condition it’s better to go for panchakarma therapy in which you may find helpful
Kindly consult to a nearby ayurvedic physician
महेश जी, मैं आपकी समस्या समझ सकता हूँ और आपकी स्थिति के लिए आपको सबसे पहले थोड़ी जानकारी देना चाहूंगा ताकि आप पूरी तरह समझ सकें कि आयुर्वेद किस तरह मदद कर सकता है।
आपके MRI और DSA रिपोर्ट में Spinal Glomus AVM दिखा है। यह रीढ़ की हड्डी में असामान्य रक्त वाहिकाओं का समूह होता है। इससे lower back pain, hypoplagia (कमजोरी या पक्षाघात) और पहले पेशाब में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेद में Spinal AVM जैसी संरचनात्मक समस्या को पूरी तरह हटाना संभव नहीं माना जाता क्योंकि यह शारीरिक संरचना की abnormality है। लेकिन आयुर्वेद लक्षणों को कम करने, दर्द घटाने, कमजोरी सुधारने और नर्वस सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है। इसका मतलब है कि आपका जीवन गुणवत्ता सुधारी जा सकती है, लेकिन पूरी तरह structural cure नहीं किया जा सकता।
दर्द और सूजन कम करना: कफ और वात दोष को संतुलित करके और नसों पर तनाव घटाकर। स्नायु और मांसपेशियों की मजबूती: रसायन और पौष्टिक आहार। नर्वस सिस्टम का समर्थन: विशेष तेल और पेस्ट (external therapies) जैसे Abhyanga, Shirodhara।
पेशाब या मूत्र नियंत्रण: आसान और सुरक्षित internal medicines जो bladder और nervous function को support करें। अनुरोध: दैनिक दिनचर्या में हल्का व्यायाम, योग (सावधानी से), और physiotherapy को शामिल करना। भारी काम, sudden bending और twisting से बचें। अपने डॉक्टर के advice के अनुसार surgery या endovascular treatment पर ध्यान दें क्योंकि structural AVM को सिर्फ आयुर्वेद से ठीक करना संभव नहीं।
सहायक उपचार (Symptom management / supportive):
Internal medicines: Bala Ashwagandha Churna – 3–5 g, दिन में 2 बार, स्नायु और मांसपेशी मजबूती के लिए। Sukshma Rasayana formulations – 1–2 g, शरीर को पोषण देने और ऊर्जा बढ़ाने के लिए।
External therapies: Abhyanga (oil massage) with Mahanarayan Tailam – कमर और पीठ पर, दर्द और stiffness कम करने के लिए। Shirodhara / Ksheeradhara – तनाव और नसों की थकान कम करने के लिए।
Dietary support: गर्म, हल्का, easily digestible भोजन। प्रोटीन, घी, दूध और seasonal vegetables।
Daily routine: हल्की walking, physiotherapy under guidance। पर्याप्त नींद, तनाव कम करना। महत्वपूर्ण:
आपकी structural AVM को पूरी तरह हटाने के लिए Neurosurgeon की सलाह जरूरी है। आयुर्वेद केवल supportive और symptom relief के लिए मदद करेगा। पेशाब में अचानक समस्या या कोई neurological emergency होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।
Warm regards, Dr. Karthika
Yes need to consult your nearest Ayurved physician.
Need personal consultation.
Please visit nearby ayurvedic physician for further advice and treatment.
Take care😊
Kind Regards, Dr.Isha Ashok Bhardwaj.
Ayurvedic treatment will not cure Will give relief but need to continue for longer time visit nearby Panchakarma centre for Enema (Basti) and purges (Virechana), to eliminate toxins.
star with Arjuna ghanvati 1-0-1 Ashwagandha churan 0-0-1tsp at bedtime To strengthen blood vessels and improve circulation.
स्पाइनल ग्लोमस एवीएम (Spinal Glomus AVM) एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी के अंदर धमनी और शिराओं के बीच एक असामान्य गुच्छा बन जाता है। आयुर्वेद में इस तरह की गंभीर और संरचनात्मक बीमारियों का इलाज संभव नहीं है। महेश कुमार के मामले में, यह एक ऐसी स्थिति है जिसका इलाज एक न्यूरोसर्जन द्वारा ही किया जाना चाहिए।
एलोपैथिक दृष्टिकोण सर्जरी (Surgery): इस स्थिति का सबसे आम उपचार सर्जरी है, जिसमें सर्जन एवीएम को हटा देता है ताकि रक्त का सामान्य प्रवाह बहाल हो सके और रीढ़ की हड्डी पर दबाव कम हो। एंडोवास्कुलर एम्बोलाइजेशन (Endovascular Embolization): इस प्रक्रिया में, एक पतली कैथेटर को रक्त वाहिका में डाला जाता है और इसे एवीएम तक पहुंचाया जाता है। फिर एक विशेष गोंद (glue) या पदार्थ को इंजेक्ट किया जाता है जो एवीएम को बंद कर देता है, जिससे रक्त प्रवाह रुक जाता है। रेडियोसर्जरी (Radiosurgery): यह एक गैर-इनवेसिव प्रक्रिया है जिसमें उच्च-केंद्रित विकिरण बीम का उपयोग करके एवीएम को बंद किया जाता है।
आयुर्वेद और सहायक उपचार आयुर्वेद मुख्य रूप से शरीर में “वात”, “पित्त” और “कफ” दोषों को संतुलित करने पर केंद्रित है। यह तंत्रिका संबंधी समस्याओं (जैसे दर्द और कमजोरी) के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन यह एवीएम जैसी संरचनात्मक समस्या को ठीक नहीं कर सकता। कुछ आयुर्वेदिक उपचार जैसे कि हर्बल तेलों से मालिश (अभ्यंग) और औषधीय एनीमा (बस्ती) लक्षणों से कुछ राहत दे सकते हैं, लेकिन इनका उपयोग मुख्य उपचार के विकल्प के रूप में नहीं किया जा सकता है।
अत्यधिक महत्वपूर्ण: महेश कुमार जी आपको पेशाब और पीठ दर्द जैसी गंभीर समस्याएं थीं (जो अस्थायी रूप से ठीक हो गई हैं), इसका मतलब यह नहीं है कि समस्या पूरी तरह से खत्म हो गई है। एवीएम फिर से लक्षण पैदा कर सकता है। इसलिए, उन्हें तुरंत एक योग्य न्यूरोसर्जन से मिलकर अपनी जांच करानी चाहिए और उनकी सलाह पर ही उपचार लेना चाहिए।
आपके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, Spinal Glomus AVM एक गंभीर स्थिति है, और ऐसी अवस्था में आधुनिक चिकित्सा में त्वरित ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है। यदि स्पाइन पर AVM के साथ किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होती है, जैसे कि अत्यधिक दर्द, पेशाब या मल त्याग में रुकावट, तो यह अति आवश्यक है कि तुरंत मेडिकल विशेषज्ञ से सलाह ली जाए।
हालांकि आयुर्वेदिक उपचार इस तरह की स्थितियों के लिए सहायक हो सकते हैं, लेकिन यह आधुनिक उपचार के स्थान पर नहीं होना चाहिए। हम कुछ मार्गदर्शन दे सकते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य में सहायता कर सकते हैं:
1. दोष संतुलन: वात दोष का असंतुलन पीठ और तंत्रिका संबंधी समस्याओं का मुख्य कारण हो सकता है। इस दोष को संतुलित करने के लिए, गर्म और तैलीय भोजन का सेवन करें। तिल का तेल, घी और अद्रक चाय सहायक हो सकते हैं।
2. पंचकर्म चिकित्सा: यदि आपके देखरेख में विशेषज्ञ उपलब्ध हों, तो बस्ति (एनिमा थेरेपी) और अभ्यंग (मालिश) जैसे पंचकर्म उपचार लाभकारी हो सकते हैं। ये उपचरण पीठ दर्द को कम करने में सहायक होते हैं।
3. योग और प्राणायाम: नियमित रूप से आसान योग और प्राणायाम जैसे अद्वितीय प्राणायाम, नाड़ी शोधन और भ्रामरी का अभ्यास करना मन और शरीर को शांति देगा। परंतु इन्हें सावधानीपूर्वक करना चाहिए और विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
4. आहार में परिवर्तन: हल्का, सुपाच्य और पौष्टिक आहार जैसे की साबूदाना, मूंग दाल खिचड़ी लें जो वात को शान्त करेगा।
5. हर्बल सप्लीमेंट्स: अश्वगंधा और बला जैसे जड़ी-बूटियों का सेवन डॉक्टर की सलाह से कर सकते हैं।
लेकिन AVM जैसी जटिल स्थितियों में, प्राथमिक ध्यान और परामर्श आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञ पर ही रहनी चाहिए। किसी भी तरह के आयुर्वेदिक उपचार के शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
HELLO SUNNY,
-AVM (arteriovenous malformation) : In this condition, some blood vessels in the spinal cord are abnormally tangled -Normally arteries carry blood into the spinal cord, and veins take it out. In AVM, these vessels connect wrongly which causes -improper blood supply to the spinal cord -pressure on nerves -risk of bleeding
SYMPTOMS= pain in back, weakness or stiffness in legs tingling/numbness, sometimes bladder/bowel issues
It is a serious condition, and in modern medicine surgery or special procedures may be needed if there is risk of rupture
Ayurveda cannot “remove” the AVM, but it supports the nervous system ,reduces pain, slows deterioration , improves quality of life, and strengthens recovery
TREATMENT GOALS -Blaance vata dosha as vata iimbalance causes nerve weakness, degeneration, pain -Reduce inflammation and stiffness -strengthen nerves and muscles -prevent complications -improve energy, sleep and mental calmness
INTERNAL MEDICATIONS
1) ASHWAGANDHA CHURNA= 1 tsp with warm milk twice daily =for nerve strength , muscle building, reducing fatigue
2) BRAHMI GHRITA= 10 ml with warm milk at bedtime =improves nerve conduction, memory, calming for mind
3) DASHMOOLA KASAHYA= 30 ml with water twice daily before meals =anti inflammatory, reduces pain, balances vata
4) YOGARAJ GUGGULU= 2 tabs twice daily after meals =fot stiffness, joint/nerveous pain, detoxification
5) MAHARASNADI KASHAYA= 25 ml twice daily after meals with warm water =strengthen nerves, relieves back pain and weskness
6) CHYAWANPRASHA= 1 tsp daily morning =rejuvinator, immunity booster
DURATION=minimum 3- 6 months continuous use
EXTERNAL THERAPIES
1) OIL MASSAGE -OILS= Balashwagandhadhi taila -warm oil gentle massage daily 15-20 min =Lubricates nerves, improve circulation, reduces stiffness
2) STEAM THERAPY -After oil massage, use mild stem with dashmoola decoction =relieves stiffness, opens channels, eases pain
3) BASTI= medicated enema= most important for vata -Matrra basti with ksheerbala daily= 30-60 mll oil per rectum at clinic under supervision not at home =directly pacifies vata in colon, strengthen nerves, relieves chronic pain
LIFESTYLE MODIFICATIONS -Do not lift heavy weights -avoid sudden jerks, long sitting, or standing -ensure proper posture -sleep well 7-8 hours daily -manage stress with meditation and relaxation -regular gentle activity, avoid complete bed rest unless advised
YOGASANAS -makrasana= relaxes spine -Bhujangasana= mild spinal extension -Shavasana= relaxation -Vajrasana= improves circulation
PRANAYAM -Anulom vilom= balances vata -Bhramari= calming nerves -Deep diaphragmatic breathing
Avoid strong backbends or high intensity yoga
DIET -warm ,fresh, oily, nourishing foods -milk, ghee, buttermilk ,wheat, rice , moong dal ,almonds, dates -Vegetables= pumpkin, bottle gourd, carrot, beetroot -Spices= ginger, garlic, turmeric
AVOID -dry, cold, stale foods -excess spicy, sour, bitter items -fast food, alcohol, smoking -excess tea/coffee
HOME REMEDIES -warm milk with 1/2 tsp turmeric + 1 tsp ghee at night- nerve calming -soak 5 almonds + 2 dates + 5 raisins overnight, eat in morning- strengthens nerves -castor oil (1 tsp at night) once a week- mild vata pacification -warm sesame oil massage daily at home
-AVM is. a serious structural disease- Ayurveda cannot dissolve or remove the malformation -but Ayurvedic treatment is highly effective as supportive care –reduces pain, stiffness, weakness, –slows down progression –improves nerve strength, sleep, digestion, overall energy –enhances post surgical recovery if surgery is done
-Always keep regular follow-up with neurologist/neurosergeon to minor AVM condition
THANK YOU
DR. MAITRI ACHARYA
नमस्ते सनी,
-एवीएम (धमनी शिरा विकृति): इस स्थिति में, रीढ़ की हड्डी में कुछ रक्त वाहिकाएँ असामान्य रूप से उलझ जाती हैं। -आमतौर पर धमनियाँ रक्त को रीढ़ की हड्डी में ले जाती हैं और शिराएँ उसे बाहर निकालती हैं। एवीएम में, ये वाहिकाएँ गलत तरीके से जुड़ जाती हैं जिसके कारण - रीढ़ की हड्डी में रक्त की आपूर्ति में गड़बड़ी - तंत्रिकाओं पर दबाव - रक्तस्राव का खतरा
लक्षण= पीठ में दर्द, पैरों में कमज़ोरी या अकड़न, झुनझुनी/सुन्नता, कभी-कभी मूत्राशय/आंत्र संबंधी समस्याएँ
यह एक गंभीर स्थिति है, और आधुनिक चिकित्सा में अगर फटने का खतरा हो तो सर्जरी या विशेष प्रक्रियाओं की आवश्यकता हो सकती है।
आयुर्वेद एवीएम को “हटा” नहीं सकता, लेकिन यह तंत्रिका तंत्र को सहारा देता है, दर्द कम करता है, गिरावट को धीमा करता है, जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है, और रिकवरी को मज़बूत बनाता है।
उपचार के लक्ष्य - वात दोष को संतुलित करें क्योंकि वात असंतुलन तंत्रिकाओं की कमज़ोरी, क्षय और दर्द का कारण बनता है। - सूजन और अकड़न को कम करें। - तंत्रिकाओं और मांसपेशियों को मज़बूत करें। - जटिलताओं को रोकें। - ऊर्जा, नींद और मानसिक शांति में सुधार करें।
आंतरिक औषधियाँ
1) अश्वगंधा चूर्ण= 1 चम्मच गर्म दूध के साथ दिन में दो बार लें। = तंत्रिकाओं की मजबूती, मांसपेशियों के लिए। थकान कम करता है, निर्माण करता है
2) ब्राह्मी घृत = 10 मिलीलीटर गर्म दूध के साथ सोते समय =तंत्रिका चालन, स्मृति में सुधार, मन को शांति प्रदान करता है
3) दशमूल कषाय = 30 मिलीलीटर पानी के साथ दिन में दो बार भोजन से पहले =सूजन रोधी, दर्द कम करता है, वात को संतुलित करता है
4) योगराज गुग्गुल = 2 गोलियां दिन में दो बार भोजन के बाद =अकड़न, जोड़ों/तंत्रिकाओं के दर्द, विषहरण के लिए
5) महारासनादि कषाय = 25 मिलीलीटर दिन में दो बार भोजन के बाद गर्म पानी के साथ =तंत्रिकाओं को मजबूत करता है, पीठ दर्द और कमजोरी से राहत देता है
6) च्यवनप्राश = 1 चम्मच रोज़ाना सुबह =पुनर्जीवित करने वाला, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला
अवधि = कम से कम 3-6 महीने तक लगातार उपयोग
बाहरी उपचार
1) तेल मालिश -तेल = बलाश्वगंधादि तेल -रोज़ाना गर्म तेल से हल्की मालिश 15-20 मिनट =तंत्रिकाओं को चिकनाई देता है, रक्त संचार में सुधार करता है, अकड़न कम करता है
2) भाप चिकित्सा -तेल मालिश के बाद, दशमूल काढ़े के साथ हल्के तने का प्रयोग करें =अकड़न दूर करता है, नाड़ियाँ खोलता है, दर्द कम करता है
3) बस्ती = औषधीय एनीमा = वात के लिए सबसे ज़रूरी -प्रतिदिन क्षीरबल के साथ मातृ बस्ती = घर पर नहीं, बल्कि क्लिनिक में देखरेख में प्रति मलाशय 30-60 मिलीलीटर तेल =बृहदान्त्र में वात को सीधे शांत करता है, तंत्रिकाओं को मज़बूत करता है, पुराने दर्द से राहत देता है
जीवनशैली में बदलाव -भारी वज़न न उठाएँ -अचानक झटके, लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने से बचें -उचित मुद्रा सुनिश्चित करें -रोज़ाना 7-8 घंटे अच्छी नींद लें -ध्यान और विश्राम के साथ तनाव का प्रबंधन करें -नियमित रूप से हल्की गतिविधि करें, सलाह के बिना पूरी तरह बिस्तर पर आराम करने से बचें
योगासन -मक्रासन = रीढ़ को आराम देता है -भुजंगासन = रीढ़ की हड्डी का हल्का विस्तार -शवासन = विश्राम -वज्रासन = रक्त संचार में सुधार
प्राणायाम -अनुलोम विलोम = वात को संतुलित करता है -भ्रामरी = तंत्रिकाओं को शांत करता है -गहरी डायाफ्रामिक श्वास
तीव्र पीठ के बल झुकने या उच्च तीव्रता वाले योग से बचें
आहार -गर्म, ताज़ा, तैलीय, पौष्टिक खाद्य पदार्थ -दूध, घी, छाछ, गेहूँ, चावल, मूंग दाल, बादाम, खजूर -सब्जियाँ = कद्दू, लौकी, गाजर, चुकंदर -मसाले = अदरक, लहसुन, हल्दी
इनसे बचें -सूखे, ठंडे, बासी खाद्य पदार्थ -अधिक मसालेदार, खट्टे, कड़वे खाद्य पदार्थ -फास्ट फूड, शराब, धूम्रपान -अधिक चाय/कॉफी
घरेलू उपचार -रात में आधा छोटा चम्मच हल्दी + 1 छोटा चम्मच घी के साथ गर्म दूध - तंत्रिकाओं को शांत करता है -5 बादाम + 2 खजूर + 5 किशमिश रात भर भिगोएँ, सुबह खाएँ - मज़बूत बनाता है तंत्रिकाएँ -अरंडी का तेल (रात में 1 चम्मच) हफ़्ते में एक बार- हल्का वात शमन -घर पर रोज़ाना गर्म तिल के तेल से मालिश
-एवीएम एक गंभीर संरचनात्मक रोग है- आयुर्वेद इस विकृति को दूर या ख़त्म नहीं कर सकता -लेकिन आयुर्वेदिक उपचार सहायक देखभाल के रूप में अत्यधिक प्रभावी है -दर्द, अकड़न, कमज़ोरी कम करता है, -प्रगति को धीमा करता है -तंत्रिका शक्ति, नींद, पाचन, समग्र ऊर्जा में सुधार करता है -यदि सर्जरी हो चुकी है तो सर्जरी के बाद की रिकवरी को बढ़ाता है
-एवीएम की मामूली स्थिति के लिए हमेशा न्यूरोलॉजिस्ट/न्यूरोसर्जन से नियमित रूप से संपर्क बनाए रखें
धन्यवाद
डॉ. मैत्री आचार्य
AVM या आर्टेरियोवीनस मॉलफॉर्मेशन एक जटिल स्थिति है, जो नसों और धमनियों के असामान्य जुड़ाव के कारण होता है। अक्सर ये समस्याएं अत्यधिक गंभीर हो सकती हैं, और कभी-कभी इनका चिकित्सीय समाधान आवश्यक हो सकता है। आयुर्वेद के दृष्टिकोण से, इस स्थिति का प्रबंधन करना संभव है, पर पूरी तरह से इलाज का आश्वासन देना कठिन है।
आपकी स्थिति में अग्नि (पाचन/मेटाबोलिक फायर) और त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) का संतुलन बहाल करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता हो सकती है। इसके साथ ही, निम्नलिखित सुझाव दिए जा रहे हैं:
1. वात संतुलन: तिल के तेल की मालिश करके और दिन में दो बार गर्म तेल का उपयोग करके कमर और पीठ में दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। योग और प्राणायाम, जैसे अनुलोम-विलोम का नियमित अभ्यास करने से भी लाभ हो सकता है।
2. आहार: आसानी से पचने वाले, वात को संतुलित करने वाले आहार लें, जैसे उबले हुए सब्जियाँ, सूप, और जड़ी-बूटियों से बना हुआ काढ़ा। गुड़, घी और अदरक को शामिल करो।
3. हर्बल सप्लीमेंट्स: अश्वगंधा और शतावरी जैसी जड़ी-बूटियां तनाव और दर्द को कम करने में सहायक हो सकती हैं।
4. ध्यान: मानसिक शांति और तनाव प्रबंधन के लिए ध्यान करना फायदेमंद हो सकता है।
फिर भी, आपकी स्थिति के गंभीरता को देखते हुए और मेडिकल इमरजेंसी से बचने के लिए एक न्यूरोलॉजिस्ट या स्पेशलिस्ट डॉक्टर की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। याद रखें कि चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह के बिना कोई भी उपाय न करें, क्योंकि ये जीवन-धमनीय स्थिति हो सकती है।

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