सिर में बार-बार फुंसियां होने की समस्या आपके शरीर में कुछ अंतर्निहित असंतुलन की ओर संकेत कर सकती है। सिद्ध-आयुर्वेद की दृष्टि से देखा जाए तो यह पित्त और कफ दोष के असंतुलन का परिणाम हो सकता है, जिसके कारण त्वचा में सूजन और पस बनता है।
सबसे पहले, अपने आहार पर ध्यान दें। अत्यधिक तैलीय, मसालेदार और खट्टे खाद्य पदार्थों से परहेज करें क्योंकि ये पित्त दोष बढ़ा सकते हैं। कोशिश करें कि आप ताजे फल, सब्जियां और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ अपने आहार में शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों का रस पाचन अग्नि को संतुलित रखने में सहायक हो सकता है।
अंदरूनी संतुलन के लिए, त्रिफला चूर्ण का सेवन करने का प्रयास करें। रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें। यह आपकी पाचन प्रणाली को सुधारने में मदद करेगा और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालेगा।
इसके अलावा, नीम का तेल एक अच्छा विकल्प हो सकता है फुंसियों के लिए। आप इसे प्रभावित क्षेत्र पर हल्के हाथों से लगाने का प्रयास कर सकते हैं, क्योंकि नीम के तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो इन्फेक्शन को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
ध्यान रखें, अगर समस्या गंभीर है या पस अधिक बन रहा है, तो त्वचा विशेषज्ञ से संपर्क करना आवश्यक होगा। यह महत्वपूर्ण है कि आप समस्या की जड़ तक पहुंचने के लिए उचित चिकित्सा उपचार पर ध्यान दें। अगर आप डॉक्टरी मदद ले रहे हैं, तो आयुर्वेदिक उपायों के साथ उसमें तालमेल बैठाना सुनिश्चित करें, ताकि कोई दुष्प्रभाव न हो।



