आई बी एस और गैस की समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण मुख्यत: पाचन तंत्र की मजबूती और संतुलन पर केंद्रित होता है। सबसे पहले, आपको अपने पाचन अग्नि को मजबूत करना होगा। कुछ आयुर्वेदिक उपाय हैं जो आप अपने दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं:
1. आहार में सुधार: ताजा, हल्का और सुपाच्य भोजन करें। मसालेदार, तला हुआ या भारी भोजन से बचें। मूंगदाल की खिचड़ी, घी और हल्दी के साथ सेवन करना लाभकारी होगा।
2. त्रिफला चूर्ण: रोज़ रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेने से पाचन तंत्र में सुधार होता है।
3. अजवाइन और जीरा: अजवाइन और जीरा पाचन को सुधरे में मदद करते हैं। इनके दाने को थोड़ा हल्का भूनकर एक चुटकी नमक के साथ रोज भोजन के बाद चबाएँ।
4. बासी पानी का सेवन: सुबह खाली पेट एक गिलास बासी पानी में थोड़ी नींबू का रस मिलाकर पीने से पाचन शक्ति बढती है।
5. योग और प्राणायाम: नियमित तौर पर योगा और प्राणायाम में बटरफ्लाई पोज़, पवनमुक्तासन, और कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करें। ये आसन पेट के पाचन कार्य को सुधारने में सहायता करते हैं।
6. तनाव प्रबंधन: आई बी एस से परेशानियों का एक कारण तनाव भी होता है। इसलिए मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग जैसी स्ट्रेस रिलीफ तकनीकें अपनाएँ।
यदि इन उपायों से भी राहत नहीं मिल रही है, तो किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। कभी-कभी पुरानी और जटिल परिस्थितियों में विशेष चिकित्सा अनिवार्य होती है।
आईबीएस और गैस की समस्या का प्रबंधन करने के लिए, सिद्ध आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से नीचे दिए गए निर्देशों का पालन करना उपयुक्त होगा। ये निर्देश आपके वात और पित्त दोष के संतुलन को ध्यान में रखते हुए दिए जा रहे हैं, क्योंकि ये दोष आम तौर पर आईबीएस और गैस से संबंधित होते हैं:
1. त्रिफला चूर्ण: रात में सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें। यह पेट साफ करने और पाचन को सुधारने में मदद करेगा।
2. अजवाइन और सौंफ का पानी: आधा चम्मच अजवाइन और सौंफ को एक गिलास पानी में उबालें और इसे भोजन के बाद पिएँ। यह पाचन अग्नि को बढ़ाने और गैस को कम करने में सहायता करेगा।
3. बलहरी काढ़ा: कुछ आयुर्वेदिक शालाओं में उपलब्ध बलहरी चूर्ण या काढ़ा का सेवन लाभप्रद हो सकता है। दिन में दो बार इसका सेवन पेट दर्द और लूज मोशन को नियंत्रित कर सकता है।
4. आयुर्वेदिक आहार और आहार योजना: ठंडी, तैलीय और मसालेदार खाने से परहेज करें। गर्म, हल्के और सुपाच्य भोजन लें। भोजन के बीच पर्याप्त अंतराल रखें ताकि पाचन प्रक्रिया पूरी हो सके।
5. योग और प्राणायाम: नियमित योगाभ्यास जैसे अपान मुद्रा और पवनमुक्तासन गैस और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को कम कर सकते हैं। नियमित प्राणायाम से मानसिक तनाव में कमी आ सकती है, जो आईबीएस लक्षणों पर सकारात्मक असर डालता है।
6. जड़ी-बूटी का उपयोग: आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ जैसे अश्वगंधा और शंखपुष्पी को आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से लिया जा सकता है।
अगर लक्षण गंभीर बने रहें या अन्य जटिलताएँ उभरें, तो तुरंत चिकित्सा विशेषज्ञ से संपर्क करें। उनकी देखरेख में उचित परीक्षण और उपचार आवश्यक हो सकता है।



